अन्तर्राष्ट्रीय
जलवायु परिवर्तन से निपटने को अरबों रुपये के निवेश पर जोर
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने बुधवार को बताया कि वैश्विक तापमान को स्वीकार्य स्तरों पर बनाए रखने के लिए स्वच्छ ऊर्जा में एक खरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।
बान की-मून ने जलवायु जोखिम पर निवेशक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पेरिस जलवायु समझौते से सबक लेने के लिए निवेशकों का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “वैश्विक तापमान को दो डिग्री से नीचे रखकर और 1.5 डिग्री बनाए रखकर हमें जीवाश्म ईंधन का तुरंत उपयोग करना चाहिए।”
उनके मुताबिक, पिछले साल स्वच्छ ऊर्जा में लगभग 33 करोड़ डॉलर निवेश किया गया था, जो 2004 की तुलना में छह गुना अधिक है। उन्होंने कहा, “यह अच्छा हिसाब-किताब है लेकिन आने वाले दशकों में सालाना तौर पर अरबों रुपये से कम है।”
बान ने अपने भाषण में कई अन्य सुझाव भी दिए, जिसमें विकासशील देशों के लिए राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं के लिए वित्तीय प्रबंध करना शामिल है।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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