अन्तर्राष्ट्रीय
शार्ली हब्दो’ हमला पीड़ितों की याद में स्मृति पैच का उद्घाटन
पेरिस। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने पिछले साल जनवरी में ‘शार्ली हब्दो’ पत्रिका के कार्यालय पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों की याद में मंगलवार को एक स्मृति पैच का उद्घाटन किया। इसके साथ ही एक सप्ताह चलने वाले स्मरणोत्सव की शुरुआत हो गई। स्मृति पैच पर हमले में मारे गए पत्रकारों सहित अन्य पीड़ितों के नाम अंकित हैं। ओलांद ने पेरिस इलेवन्थ जिले में स्थित शार्ली हब्दो के पिछले मुख्यालय में मेयर ऐनी हिडाल्गो और सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में पीड़ितों की याद में स्मृति पैच का उद्घाटन किया।
स्मृति पैच पर फ्रांस के राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों-नीला, सफेद एवं लाल से ‘आई एम अहमद’ लिखा हुआ है। सात जनवरी, 2015 को पत्रिका की संपादीय बैठक में दो सशस्त्र हमलावर घुस आए थे, जिन्हें रोकने की कोशिश करते समय अहमद नामक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी।
ओलांद ने एक साल पहले एक यहूदी बाजार में बंधक बनाए जाने की घटना के दौरान मारे गए चार लोगों की याद में भी पूर्वी पेरिस के पोर्ट डे विंसेन्स में एक स्मृति पैच का उद्घाटन किया। ओलांद गोलीबारी की घटना में जान गंवाने वाली 22 वर्षीया महिला पुलिसकर्मी के परिवार को शनिवार को सम्मानित करेंगे।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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