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नई तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को आना होगा आगे : डॉ. पटेरिया

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लखनऊ: भारत भले ही एक कृषि प्रधान देश हो लेकिन आज के आधुनिक दौर में भी देश के किसानों की समस्याएं कम नहीं हुईं हैं । चाहे समय पर खाद की उपलब्धता की बात हो या फिर फसलों की सही कीमतों का मिल पाना, किसान हमेशा ही इन समस्याओं से जूझता रहता है। हाल ही में किसानों को ध्यान में रखकर डी.डी. किसान चैनल की शुरुआत की गई है जिसका उद्देश्य किसानों तक नवीनतम तकनीक और जानकारियां पहु्रचाना है । आज की खबर से एक खास बातचीत में प्रसार भारती के अपर महानिदेशक डा. मनोज कुमार पटेरिया ने कहा कि किसानों का आज के समय में नवीनतम तकनीक से लैस होना बेहद जरुरी है और इसके लिए ऐसे कार्यक्रम बनाए गए हैं जिसमें किसान सीधे अपने सवाल विशेषज्ञों से पूछ सकते हैं । उन्होनं कहा कि नई तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को भी आगे आना होगा ।
डा. पटेरिया ने कहा कि देश में मोबाईल फोन का उपयोग करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और जैसे जैसे कनेक्टिविटी बढ़ेगी वैसे वैसे अधिक से अधिक किसान मोबाईल टेक्नाॅलाजी से जुड़ेंगें । सोशल मीडिया के माध्यम से भी किसानों को जोड़ा जा सकता है और इसका सीधा फायदा देश की कृृषि अर्थव्यवस्था को मिलेगा ।
एक सवाल के जवाब में डा. पटेरिया ने कहा कि किसानों को मंडियों में चल रहे भाव की नवीनतम जानकारी हो इसके लिए डी.डी. किसान चैनल द्वारा किसानों को जानकारी दी जाती है । उन्होंने कहा कि बिचैलियों का दखल खत्म करने के लिए सहकारी संघों के माध्यम से किसानों को जोड़ा जा सकता है और इससे किसानों की समस्याएं काफी हद तक सुलझाई जा सकेंगीं ।
आज के आधुनिक दौर में जरुरी है कि किसानों के पास खेती की नवीनतम तकनीक पहुंचे और उनकी समस्याआंें का समाधान समय रहते हो । डी.डी. किसान चैनल के माध्यम से गांव गांव तक जानकारियां पहुंचाने का काम किया जा रहा है । किसानों को भी चाीिए कि वे किसान काॅल सेन्टर समेत अन्य आधुनिक सुविधाओं का पूरा फायदा उठाएं ।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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