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पंचायत चुनाव के लिए साक्षरता मापदंड की समीक्षा हो : अमर्त्य सेन

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नई दिल्ली| नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का कहना है कि हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव लड़ने के लिए जो शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य तौर पर निर्धारित की है और जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है, उसकी समीक्षा होनी चाहिए और उस पर संविधान पीठ को विचार करना चाहिए। सेन ने यहां गुरुवार देर शाम अपनी नई किताब ‘द कंट्री ऑफ फर्स्ट बॉयज’ पर चर्चा के दौरान कहा, “हमें हमारे उद्देश्यों और देश की दशा के बीच अंतर करने की जरूरत है.. इसका अर्थ यह नहीं है कि हर किसी को साक्षर होना चाहिए और सबके घरों में शौचालय होना चाहिए और जब तक ऐसा न हो तब तक लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाए।”

उन्होंने कहा, “जो लोग पहले से ही सुविधाओं से वंचित हैं, हम उन्हें वंचित नहीं रख सकते और उनके विशेषाधिकारों को छीन नहीं सकते।”

सेन ने सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ से इस मामले की सुनवाई का भी आह्वान किया।

हरियाणा विधानसभा ने सितंबर में इस संबंध में एक विधेयक पारित किया था, जिसमें पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य करने की बात कही गई और यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया कि उनके घरों में शौचालय हों।

सर्वोच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर को हरियाणा सरकार के इस कानून को सही ठहराते हुए कहा था कि पंचायत चुनावों में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता वाले उम्मीदवार ही हिस्सा ले सकते हैं।

नए नियम के तहत चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए 10वीं तक की पढ़ाई अनिवार्य है।

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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