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भोपाल गैस त्रासदी : पीड़ितों के 2500 बच्चे विकृत

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भोपाल गैस त्रासदी, पीड़ितों के 2500 बच्चे विकृत, 17 सौ बच्चे जन्मजात विकृति का शिकार

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संदीप पौराणिक

भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी में 31 वर्ष पूर्व हुए गैस हादसे के शिकार लोगों की चौथी पीढ़ी भी दुष्परिणामों को भोग रही है। आलम यह है कि एक लाख की आबादी में ढाई हजार से ज्यादा बच्चे विकृति का शिकार हैं, इनमें 17 सौ बच्चे जन्मजात विकृति का शिकार पाए गए हैं। यह बात संभावना ट्रस्ट क्लीनिक के अध्ययन में सामने आई है। गैस कांड के पीड़ितों और प्रदूषित भूजल प्रभावितों को नि:शुल्क इलाज देने वाले संभावना क्लीनिक ने हाल ही में 20 हजार से ज्यादा परिवारों के एक लाख से अधिक लोगों पर अध्ययन पूरा किया है। चार समान आबादी वाले समुदाय पर जो अध्ययन हुआ है, उसमें 84 में गैस से प्रभावित, प्रदूषित भूजल से प्रभावित, गैस और प्रदूषित भूजल दोनों से प्रभावित और अप्रभावित लोग शामिल हैं।

पिछले तीन सालों में क्लीनिक के शोधकर्मियों ने चिकित्सक द्वारा प्रमाणित टीबी, कैंसर, लकवा, महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य तथा शिशुओं और बच्चों की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक विकास की जानकारी इकट्ठा की है। संभावना के शोधकर्मियों ने इस आबादी में 2500 से ज्यादा ऐसे बच्चों की पहचान की है, जिनमें संभवत: जन्मजात विकृति है। इतना ही नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों से आए 30 चिकित्सकों ने 1700 से अधिक बच्चों को जन्मजात विकृति से ग्रस्त पाया है। अध्ययन के फील्ड को-ऑर्डिनेटर रीतेश पाल ने मंगलवार को शोध का ब्यौरा जारी करते हुए बताया कि प्राथमिक अवलोकन से यह सामने आया है कि अपीड़ित आबादी के मुकाबले जहरीली गैस या प्रदूषित भूजल से प्रभावित आबादी में जन्मजात विकृतियों की दर कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अगले छह महीने में अध्ययन के नतीजे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी किए जाएंगे।

पाल की सहयोगी आफरीन ने बताया कि उन्होंने सिर्फ बच्चों की विकृति के बारे में ही जानकारी नहीं जुटाई है, बल्कि ऐसे बच्चों को इलाज मुहैया कराने में भी मदद कर रहे हैं। उनके अनुसार, अब तक मंदबुद्धि, सेरेब्रल पाल्सी, (अंडकोष की विकृति), सिन्डेक्टिली-पालिटेक्टिली (उंगलियों की विकृति) तथा अन्य जन्मजात विकृतियों वाले 164 बच्चों को इलाज के लिए सरकारी और गैर सरकारी चिकित्सा केंद्रों में भेजा जा चुका है। इनमें से 43 बच्चों का इलाज पूरा हो चुका है।

संभावना ट्रस्ट क्लीनिक में गैस पीड़ित एवं कारखाने के पास रहने वाले प्रदूषित भूजल पीड़ित 31 हजार से ज्यादा लोग पंजीकृत हैं। इस क्लीनिक में एलोपैथी, आयुर्वेद एवं योग तीनों पैथी द्वारा समेकित इलाज दिया जाता है। क्लीनिक को चलाने के लिए भारत और ब्रिटेन के 15 हजार से अधिक लोग आर्थिक मदद करते हैं। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय लेखक डॉमिनिक लेपियर संभावना द्वारा संचालित स्त्री रोग क्लीनिक एवं अनौपचारिक विद्यालय के लिए धन जुटाते हैं।

नेशनल

बाबा रामदेव की सोन पापड़ी भी टेस्ट में ‘फेल’, असिस्टेंट मैनेजर समेत 3 को 6 महीने की जेल

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नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई थी। अब पतंजलि कंपनी की सोन पापड़ी फूड टेस्‍ट में फेल गई है। मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्‍टेंट मैनेजर सहित तीन लोगों को छह महीने जेल की सजा सुना दी है। तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 59 के तहत सजा सुनाई गई है। असिस्टेंट मैनेजर को 50 हजार और अन्य 2 दोषियों को 10 और 25 हजार रुपये जुर्माना भरना होगा। मामले में शिकायतकर्ता की ओर से रितेश वर्मा ने पैरवी की।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 17 अक्टूबर 2019 को जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ बेरीनाग बाजार का दौरा किया था। इस दौरान बेरीनाग बाजार स्थित लीलाधर पाठक की दुकान में रेड मारी गई। जांच करते हुए रेड टीम ने पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए रुद्रपुर की लैंब में भेजा गया। साथ ही सप्लायर रामनगर कान्हा जी और पतंजलि को नोटिस जारी किए गए।

जांच में मिठाई की क्वालिटी घटिया मिली। सैंपल फेल हो गया और पुलिस ने एक्शन लेकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्टेंट जनरल मैनेजर अभिषेक कुमार, कान्हा जी डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड रामनगर के असिस्टेंट मैनेजर अजय जोशी, दुकानदार लीलाधर पाठक को गिरफ्तार कर लिया। तीनों के खिलाफ सुनवाई पूरी होने के बाद बीते दिन जेल और जुर्माने की सजा सुनाई गई।

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