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मुख्य समाचार

नौ दिवसीय 18वां अन्तर्राष्ट्रीय उर्दू किताब मेला शुरू

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रसिद्ध ड्रामा ‘‘मै उर्दू हूं’’ का मंचन, नौ दिवसीय 18वां अन्तर्राष्ट्रीय उर्दू किताब मेला, जामिया मिलिया इस्लामिया

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दिल्ली में हुआ प्रसिद्ध ड्रामा ‘‘मै उर्दू हूं’’ का मंचन
नई दिल्ली। नेशनल काउन्सिल फार प्रमोशन आफ उर्दू लैन्गवेज (एन.सी.पी.यू.एल.) के तत्वधान मे जामिया मिलिया इस्लामिया में नौ दिवसीय 18वां अन्तर्राष्ट्रीय उर्दू किताब मेला लगा, जोकि 14 नवम्बर से 22 नवम्बर 2015 तक चलेगा। मेले के उद्घाटन के मौक़े पर एन.सी.पी.यू.एल. निदेशक इरतिज़ करीम ने बोलते हुए कहा उर्दू लोगो के दिलो को जोड़ती है। उर्दू हमे तहज़ीब सिखाती है। इसके चाहने वालो की तआदात कम नही है। जिसका साक्ष्य है उर्दू गज़लो का आम होना, हमको उर्दू के बचाने और बढ़ाने के लिए आगे आना चाहिए और अपने बच्चों को उर्दू पढ़वाना।

उद्घाटन वाले दिन यानि 14 नवम्बर 2015 को लेखक एस.एन.लाल द्वारा रचित प्रसिद्ध ड्रामा ‘मै उर्दू हूं’ का मंचन हुआ जिसमें पेशकश अतहर नबी की, इस बार ड्रामें के निर्देशक थे। प्रदीप श्रीवास्तव, उर्दू के मुख्य किरदार को चन्द्रानी मुखर्जी ने निभाया। यह ड्रामा जामिया मिलिया इस्लामिया में स्थित अन्सारी प्रेक्षागृह में मंचित हुआ जिसको देखने के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया, देहली एंव जवाहार लाल नेहरू यूनीवर्सिटी के छात्रगण एंव पूरे हिन्दुस्तान के उर्दू के प्रोफसर उपस्थित थे जिन्होंने इस ड्रामें को बहुत ही पसन्द किया और अपनी-अपनी यूनीवर्सिटी में इस ड्रामें को कराने की बात कहीं।

ड्रामे में उर्दू का पूरा इतिहास बताया गया है जिसमें सभी भारतीय भाषाओं ने खुद ही उर्दू के बारे में बताया है और उर्दू अपने बारे में लोगो से खुद वार्ता करती नज़र आती है। इसमें भाषा हिन्दी, उर्दू की बहन बनी है तो संस्कृत उर्दू की दादी, तुर्की उर्दू की मां है, फारसी उर्दू का बाप, पंजाबी और भोजपूरी उर्दू के मामा बने हैं। इस ड्रामे में अमीर खुसरो से लेकर ग़ालिब और मीर अनीस जैसे कई शायरों व लेखकों को भी दिखाया गया है।  दिल्ली में यह ड्रामा दुबारा हुआ था, ये ड्रामा हिन्दुस्तान के कई शहरों में हो चुका है, इस बार 11वां शों था। इस ड्रामे को देखकर महाराष्ट्र के सपा नेता अबू आसिम आज़मी ने दुबई में करवाने को कहा और एन.सी.पी.यू.एल. निदेशक इरतिज़ करीम ने पूरे हिन्दुस्तान की हर यूनिर्वसिटी मे कराने की बात कहीं है। 18वां अन्तर्राष्ट्रीय उर्दू किताब मेला अभी लगा है जिसमें प्रतिदिन नये-नये कार्यक्रम हा रहे है। मिसमें कल ‘चाहरबैत’ और बच्चों के प्रोगाम होंगे, 19 नवम्बर को ‘दास्तान गोई’ होगी और 20 नवम्बर को मुशायरा होगा।

नेशनल

जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा

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नई दिल्‍ली। भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्‍या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।

जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।

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