मुख्य समाचार
यश भारती पेंशन जरूरतमंदों को ही : अखिलेश
लखनऊ| उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती व पद्म पुरस्कार प्राप्त राज्य के दिग्गजों को हर महीने 50 हजार रुपये पेंशन देने को लेकर छिड़ी बहस के बीच इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह पेंशन केवल जरूरतमंद लोगों को ही दी जाएगी। पुरस्कार पाने वालों को स्वत: पेंशन नहीं मिलेगी, बल्कि उन्हें निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होगा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने मंगलवार को मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद नई पेंशन योजना के तहत यश भारती व पद्म पुरस्कार से सम्मानित राज्य के दिग्गजों को हर माह 50 हजार रुपये पेंशन देने की घोषणा की थी। लेकिन इन पुरस्कारों से सम्मानित अमिताभ बच्चन ने पेंशन लेने से इंकार करते हुए इस राशि को किसी कल्याण योजना में लगाने की अपील उत्तर प्रदेश सरकार से की थी, जिसके बाद इस पर बहस शुरू हो गई थी।
मुख्यमंत्री ने इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अपनी उपलब्धियों और हुनर की बदौलत प्रदेश का नाम रोशन करने वाली प्रतिभाओं के सम्मान व गरिमा को बनाए रखने के कारण उन्हें 50 हजार रुपये पेंशन देने का फैसला किया गया है। लेकिन इसका लाभ केवल जरूरतमंदों को ही दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मीडिया या अन्य स्रोतों से पूर्व में ऐसे मामले संज्ञान में आए हैं कि कुछ सम्मानित व्यक्ति तंगी के दौर से गुजर रहे हैं, ऐसे ही जरूरतमंदों की मदद के लिए यह पेंशन योजना शुरू की जा रही है।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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