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दलित बच्चों के हत्यारों को गिरफ्तार करो : माकपा

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फरीदाबाद | मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने दलित परिवार के बच्चों को जिंदा जलाकर मारने वाले हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। माकपा नेता वृंदा करात ने कहा यह प्रशासन की विफलता है, जिसने दलित परिवार की शिकायत को नजरअंदाज किया और जिसके कारण दो मासूम बच्चों को जलाकर मार दिया गया।

माकपा के प्रतिनिधिमंडल ने फरीदाबाद जिले के सुनपेड़ गांव में जाकर मासूम बच्चों के पीड़ित परिवार से मुलाकात की। फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव के निवासी जितेंद्र कुमार की नौ महीने की बेटी और दो साल के बेटे को ऊंजी जाति के लोगों ने जिंदा जलाकर मार डाला। मृतक बच्चों की मां और जितेंद्र की पत्नी रेखा अस्पताल में जिंदगी व मौत की जंग लड़ रही है। वृंदा से जितेंद्र ने कहा मेरे बच्चों और मेरी पत्नी का क्या अपराध था| पीड़ित बच्चों के पिता ने आरोप लगाया कि हत्यारे रात में आए और उन्होंने खुली खिड़की के जरिए घर में पेट्रोल फेंका और फिर आग लगा दी। इस हादसे में जितेंद्र के दोनों बच्चों की मौत हो गई, जबकि पत्नी रेखा गंभीर रूप से घायल है।

जितेंद्र का कहा मुझे न्याय चाहिए, लेकिन प्रशासन का रवैया हमारे खिलाफ पक्षपाती है। करात ने हरियाणा सरकार पर निशाना साधते हुए दलितों की शिकायतों को महत्व न देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा हादसे के 36 घंटे बाद भी मुख्यमंत्री ने गांव का दौरा करने के बारे में नहीं सोचा और न ही उन्होंने किसी वरिष्ठ मंत्री को गांव भेजा। अधिकारियों ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि शिकायत में दर्ज 11 में से केवल चार लोगों को ही पुलिस ने गिरफ्तार किया है। करात ने हरियाणा सरकार से सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने के लिए भी कहा।

 

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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