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मध्यप्रदेश बारिश से बेहाल, महाकाल मंदिर में घुसा पानी

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भोपाल। मध्य प्रदेश में लगातार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। नदी, नाले उफान पर हैं, आवागमन बाधित हो रहा है, निचली आवासीय बस्तियां जलमग्न हो गई हैं। उज्जैन में महाकाल मंदिर की ज्योतिर्लिग तक पानी पहुंच गया है और भस्म आरती भी पानी में खड़े होकर की गई। राजगढ़ जिले में बरसाती पानी से भरे गड्ढे में खेल रहे तीन बच्चों की डूबने से मौत हो गई। वहीं शाजापुर में नाले में फंसी दो बसों के 125 यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

राज्य में बीते तीन दिनों से जारी बारिश कहर बन गई है। प्रदेश की नर्मदा, बेतवा, क्षिप्रा, गंभीर सहित अन्य नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके चलते कई हिस्सों का सड़क संपर्क टूट गया है। बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। इंदौर में बारिश से कई बस्तियों में पानी भर गया है। उज्जैन जिले में बारिश से पूरा शहर ही टापू में बदल गया है। क्षिप्रा नदी का पानी सडक से लेकर घरों तक में भर गया है। क्षिप्रा नदी के तट पर रामघाट, नरसिंहघाट व दत्तघाट पर स्थित मंदिर भी पानी से डूबे हुए हैं। अब तो महाकाल के मंदिर के गर्भगृह तक पानी पहुंच गया है। ज्योतिर्लिग भी पानी की जद में आ गई है। इसके चलते मंगलवार के सुबह की भस्म आरती पुजारियों और भक्तों ने पानी में खड़े होकर की।

महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष ने संवाददाताओं को बताया कि क्षिप्रा नदी का जल रुद्रसागर में आता है और रुद्रसागर का एक द्वार महाकाल मंदिर में खुलता है। संभावना है कि रुद्रसागर का जल महाकाल के गर्भगृह तक पहुंचा है। वर्षो बाद ऐसा हुआ है, जब महाकाल में गर्भगृह तक पहुंचा है। वहीं जिला प्रशासन इस बात का परीक्षण करा रहा कि महाकाल के गर्भगृह तक पानी कैस पहुंचा। इसी तरह सीहोर जिले में भी बारिश आफत बन गई है। खांडाबाड़ गांव के कलियादेव नाले के पानी में सोमवार को 11 लोग बह गए थे। इनमें से नौ के शव मिल चुके हैं, मगर दो अब भी लापता हैं। भोपाल से आया राहत आपदा दल लापता शवों की तलाश में जुटा है।

राजगढ़ जिले के मलावर थाना क्षेत्र के लोधीपुरा में बरसाती पानी में खेल रहे तीन बच्चे मंगलवार को डूब गए। इन बच्चों की उम्र छह से 12 वर्ष बताई जा रही है। मृत तीनों बच्चों ललित, सुनील और दीपक का नरसिंहगढ़ के अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को प्रदेश में अति वर्षा से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि अति वर्षा की संभावना वाले क्षेत्रों में पूरी सतर्कता और सावधानी रखें, ताकि किसी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके। उन्होंने प्रदेश में आपदा प्रबंधन के लिए किए गए उपायों की समीक्षा की।

बैठक में बताया गया कि सोमवार रात को शाजापुर जिले के नीनावद के पास दो बस नाले पर पानी में फंस गई थीं। बचाव दल ने पहुंचकर बसों से 125 यात्रियों को सुरक्षित निकाला। उज्जैन शहर में अब पानी कम हो रहा है। सभी 51 जिलों में इमरजेंसी आपरेशनल सेंटर बनाए गए हैं, जिनमें 4,800 लोग लगे हैं और 110 बचाव दल तैयार रखे गए हैं। इसके अलावा 185 बोट तैयार रखी गई हैं। अभी तक प्रदेश में बाढ़ से प्रभावित 22 घटनाओं में 836 लोगों को बचाया गया है।

अति वर्षा या बाढ़ से प्रभावित होने की सूचना देने के लिए मुख्यमंत्री निवास के टेलीफोन नंबर 0755-2540500 स्थापित किया गया है, वहीं सीएम हेल्पलाइन 181 पर भी इसकी सूचना दी जा सकती है। बताया गया है कि अतिवर्षा से प्रभावित जिलों में विशेष निगरानी रखी जा रही है। उज्जैन शहर की विद्युत आपूर्ति बहाल हो गई है। विदिशा, रायसेन, शाजापुर, सीहोर और देवास जिलों में कुछ स्थान पर पुलिया पर पानी बढ़ने से यातायात प्रभावित हुआ है।

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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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