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मुख्य समाचार

राजस्थान निकाय चुनावों में भाजपा की जीत

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 जयपुर| राजस्थान में 22 नवंबर को हुए राज्य के 46 निकायों के लिए हुए चुनावों में राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 निकायों पर कब्जा जमा लिया है। छह नगर निगमों में से भाजपा ने पांच पर जीत हासिल की, जबकि भरतपुर में निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को पीछे छोड़ दिया है। जयपुर नगर निगम में 91 वार्डो में 64 पर भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। कांग्रेस केवल 18 वार्डो पर ही जीत दर्ज कर पाई, जबकि नौ वार्डो में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।

इसी तरह जोधपुर में 15 साल बाद भाजपा ने जीत दर्ज की। यहां के 65 वार्डो में से 39 पर भाजपा के उम्मीदवारों को विजेता घोषित कर दिया गया, जबकि कांग्रेस के खाते में केवल 19 वार्ड आए। उदयपुर में भाजपा ने लगातार पांचवी बार जीत दर्ज की है। यहां पर कांग्रेस 55 में से मात्र तीन वार्डो पर ही जीत दर्ज कर पाई है, जबकि 49 भाजपा के खाते में गए हैं। कोटा नगर निगम में भाजपा के प्रत्याशियों ने 65 वार्डो में से 53 पर जीत दर्ज की। यहां कांग्रेस केवल छह सीटें ही जीत पाई। बीकानेर में स्थिति कुछ अलग नहीं है। यहां भाजपा के उम्मीदवार ने 60 वार्डो में से 35 पर जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस के खाते में केवल 16 वार्ड ही आए।

हालांकि भरतपुर में निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी। यहां पर निर्दलीय उम्मीदवार ने 20, भाजपा ने 18 और कांग्रेस ने 11 वार्डो में जीत दर्ज की। बाकी बचे 40 नगरपालिका परिषदों और नगरपालिकाओं में 22 में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है। नौ निकायों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, जहां पर सत्ता में आने के लिए इसे निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन लेना होगा। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक बयान में कहा, “निकाय चुनावों में पार्टी की जीत के लिए मैं लोगों को और पार्टी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देती हूं।”

कांग्रेस को केवल चार निकायों में बहुमत मिला है, जिनमें से टोंक और बाड़मेर में यह सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष सचिन पायलट ने आईएएनएस को फोन पर बताया, “हम जनादेश का स्वागत करते हैं और अपनी हार स्वीकारते हैं। हम परिणामों का आंकलन करेंगे और अगले कुछ महीनों में होने वाले पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे।”

नेशनल

जेल से बाहर आएंगे अरविंद केजरीवाल, 1 जून तक के लिए मिली अंतरिम जमानत

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। 2 जून को केजरीवाल को सरेंडर करना होगा। केजरीवाल आज ही तिहाड़ से बाहर आएंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल पर चुनाव प्रचार को लेकर कोई पाबंदी नहीं है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ये आदेश पारित किया है। केजरीवाल को जमानत लोकसभा चुनाव के चलते दी गई है। हालांकि कोर्ट में ईडी ने इसका विरोध किया और कहा कि ये संवैधानिक अधिकार नहीं है।

अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से 5 जून तक की जमानत की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने कहा- “हमें कोई समान लाइन नहीं खींचनी चाहिए। केजरीवाल को मार्च में गिरफ़्तार किया गया था और गिरफ़्तारी पहले या बाद में भी हो सकती थी। अब 21 दिन इधर-उधर से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 2 जून को अरविंद केजरीवाल सरेंडर करेंगे।”

बीते गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने केजरीवाल की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था। ईडी ने हलफनामे में कहा था कि चुनाव प्रचार करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है। वहीं, दूसरी ओर ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल की लीगल टीम ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि, ईडी की सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है।

 

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