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विवादों में घिरे दिल्ली सरकार के एक और मंत्री
नई दिल्ली। दिल्ली की आप सरकार के एक और मंत्री विवादों के घेरे में हैं। दिल्ली के उद्योग मंत्री सतेंद्र जैन पर दिल्ली सरकार की एक अफसर शकुंतला गैमलिन ने आरोप लगाए हैं। प्रधान सचिव (उद्योग) शकुंतला गैमलिन का कहना है कि जैन उन पर औद्योगिक इलाकों के प्लॉट को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड करने संबंधी प्रस्ताव तैयार करने के लिए दबाव डाल रहे थे। गैमलिन ने जैन के खिलाफ एलजी नजीब जंग को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है।
यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि गैमलिन का पहले भी केजरीवाल सरकार से जमकर विवाद हो चुका है। तब केजरीवाल ने शकुंतला गैमलिन की दिल्ली के कार्यकारी मुख्य सचिव पद पर नियुक्ति का विरोध करते हुए आरोप लगाए थे कि ये अधिकारी बिजली कंपनियों के पक्षपात करते हुए एक फाइल पर साइन कराना चाहती थीं।
ताजा विवाद में गैमलिन ने अपने शिकायती पत्र में लिखा, ”सतेंद्र जैन मुझ पर लगातार एक कैबिनेट नोट लाने का दबाव बना रहे थे, जिससे औद्योगिक जमीन को लीज होल्ड से फ्री होल्ड किया जा सके।” गैमलिन का कहना है कि भूमि से जुड़े केस से दिल्ली सरकार को कोई सरोकार नहीं है, इसलिए इस मामले में कैबिनेट नोट लाना उचित नहीं है। गैमलिन के मुताबिक, इस मामले में फैसला सिर्फ डीडीए और उसके चेयरमैन एलजी नजीब जंग कर सकते हैं।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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