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मुख्य समाचार

दुख भरे दिन बीते रे भइया….

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनैतिक हताशा, स्वच्छ भारत अभियान, जन-धन योजना, बीमा योजना, डिजिटल इंडिया, भूमि बिल व जीएसटी बिल, भारत एक विविधताओं वाला देश

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जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो जाता है तो उसके समर्थकों और विरोधियों की संख्या भी तेजी से बढ़ती है। लोकप्रियता की एक और खासियत होती है, लोकप्रिय व्यक्ति समर्थकों के दिल में रहता है और विरोधियों के दिमाग में और दोनों ही जगहों पर वह चर्चा में बना रहता है। राजनीति में चर्चा और पर्चा में बने रहना अति आवश्यक है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज यही स्थिति है।

मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर उनके खाते में उपलब्धियां ज्यादा है कमियां बहुत कम लेकिन विरोधियों के लिए ठीक इसका उल्टा है। राजनैतिक हताशा के शिकार लोगों के दिन बहुरने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं इसलिए विरोध के लिए विरोध जारी है।

प्रचंड बहुमत पाने के बाद 26 मई 2014 को जब नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी उस समय भारत की हालत एक ऐसे जुआरी की थी जो जुए में अपना सबकुछ हार जाने के बाद भी अगला दांव जीतने की प्रत्याशा में रहता है। पूर्व की यूपीए सरकार ने पूरी दुनिया में भारत की छवि सरकारी घोटालेबाजों की बना दी थी नतीजन विदेश निवेश काफी कम हो गया था।

नरेंद्र मोदी ने इस एक साल में कोई ऐसा चमत्कार तो नहीं किया लेकिन अब कम से कम यह तो दिखता है कि भारत में सरकार नाम की भी कोई चीज है। अपने 365 दिनों के कार्यकाल में मोदी ने 17 देशों की यात्रा कर कुल 55 दिन विदेश में बिताए। भारत में पूरी दुनिया के निवेशकों का विश्वास बढ़ा जिससे अर्थव्यकव्था पटरी पर आने लगी। विकास दर सात प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया, मुद्रा स्फीति की दर काबू में आई और सरकार के लिए सरदर्द बन चुका चालू खाता घाटा भी काफी कम हुआ।

योजनाओं की बात करें तो स्वच्छ भारत अभियान, जन-धन योजना, बीमा योजना, डिजिटल इंडिया जैसी कई ऐसी योजनाएं लांच हुईं जिससे समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का एहसास हुआ साथ ही इन योजनाओं की तारीफ अंतर्राष्ट्रीय संस्था़ओं ने भी की।

संसदीय कामकाज के तौर पर मोदी सरकार की उपलब्धियों को देखें तो इस बार हमारे माननीयों ने रिकार्ड कायम कर दिया। लोकसभा की उत्पापदकता 135 प्रतिशत जबकि राज्यसभा की 105 प्रतिशत रही इसका मतलब यह हुआ कि हमारे सांसदों ने ओवरटाइम किया। बजट सत्र में रिकार्ड 24 विधेयक पारित हुए जिसमें काला धन विरोधी विधेयक सरकार की विशेष उपलब्धि रही हालांकि भूमि बिल व जीएसटी बिल पर सरकार की मुसीबतें अभी टली नहीं हैं।

सवाल सिर्फ एक बात का है कि संसद और सरकार का काम सिर्फ नीतियां और कानून बनाना होता है उसे लागू करने का महती कार्य कार्यपालिका को करना होता है। भारत की घाघ कार्यपालिका से मोदी सरकार कैसे अपनी नीतियां शतप्रतिशत लागू करवाएगी यही देखने वाली बात है। यदि मोदी इसमें सफल हो गए तो वो लंबे समय के लिए पदस्थ रह सकते हैं। अन्यथा की स्थिति में फिर वही आलोचनाओं का दौर।

सरकार की एक और विवशता है। भारत एक विविधताओं वाला देश है। देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग विचारधाराओं की सरकारें हैं। मोदी सरकार कैसे उनसे तालमेल बिठाकर अपनी योजनाओं का क्रियान्यवन कराएगी यह भी देखने वाली बात होगी। इन सबके बावजूद मोदी सरकार के कार्यकाल के पहले साल को दस में से आठ नंबर दिए जा सकते हैं, विरोधी तो शून्य देंगे ही।

नेशनल

सामने आई स्वाति मालीवाल की मेडिकल रिपोर्ट, शरीर के इन हिस्सों पर चोट के निशान

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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट के बाद उनका एम्स में मेडिकल टेस्ट कराया गया था, जिसकी रिपोर्ट आ गई हैं। रिपोर्ट देखकर पता चलता है कि स्वाति के शरीर पर चार जगह चोट लगी थी। एम्स की रिपोर्ट में सामने आया है कि स्वाति मालीवाल को ‘बाएं पैर के थाइस’ पर 3×2 सेंटीमीटर के आकार की चोट थी और उनके ‘दाहिनी आंख के नीचे दाहिने गाल’ पर 2×2 सेंटीमीटर आकार की एक और चोट थी।

एम्स के डॉक्टर आनंद गंगदेव द्वारा बनाई गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीज द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सीएम के आवास पर 13 मई को उनपर परिचित व्यक्ति ने हमला किया था. उन्हें कई बार थप्पड़ मारे गए और उनके सिर पर कठोर वस्तु से हमला किया गया और वह जमीन पर गिर गईं. उनके पेट, पेल्विस और चेस्ट पर पैर से कई बार मारा गया. मरीज फिलहाल जांघ और पेल्विस एरिया में दर्द की शिकायत कर रहा है।

सीएम केजरीवाल के आवास से विभव कुमार गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने सीएम केजरीवाल के आवास से विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें सिविल लाइन्स थाने लेकर जाया गया है। दिल्ली पुलिस को पहले ही बिभव कुमार के सीएम हाउस में होने का इनपुट मिला था। सूचना के बाद पुलिस टीम में एसएचओ सिविल लाइंस और एडिशनल डीसीपी नॉर्थ सीएम आवास पर पहुंचे थे। सूचना मिलने के बाद एक गाड़ी सीएम हाउस में पहुंची थी। दिल्ली पुलिस की टीम जब सीएम हाउस पर पहुंची तब वहां पर पहले से ही गेट खुले हुए थे। इस गाड़ी को गेट पर नहीं रोका गया और गाड़ी सीधा सीएम हाउस में चली गई। गाड़ी के लिए पहले से सीएम हाउस में मैसेज था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम सीधे सीएम हाउस में गई और फिर वहां से बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

बता दें कि गिरफ्तारी से पहले ही बिभव कुमार ने एक मेल किया था, जिसमें उसने हर जांच के लिए साथ देने की बात कही थी। अपने मेल में बिभव कुमार ने लिखा कि ‘मैं हर जांच में सहयोग को तैयार हूं। मुझे मीडिया के माध्यम से FIR दर्ज होने के बारे में जानकारी हुई। अभी तक मुझे एफआईआर के बाद कोई नोटिस नहीं दिया गया है। मेरी शिकायत पर भी दिल्ली पुलिस संज्ञान ले।’

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