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मुख्य समाचार

अगली बार फिर होगी मोदी सरकार

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प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा, चीन की धरती, 22 अरब डालर के व्यायपारिक समझौते, अरूणाचल के निवासियों को नत्थीक वीजा, सीमा विवाद, पीओके में चीन की जरूरत से ज्याोदा दखलंदाजी

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ईष्‍या इंसान की सद्बुद्धि को नष्‍ट कर देती है, सही कार्यों का समर्थन करने में भी ईष्‍यालु को संकोच होता है। ईष्‍या की बड़ी बहन का नाम निंदा है और केंद्र सरकार में बैठे विपक्षी राजनैतिक दल आजकल इसी बड़ी बहन को अपनी खोई हुई राजनैतिक जमीन वापस पाने का औजार बनाए हुए हैं। तेजी से बढ़ता भारत उनको नहीं सुहा रहा है क्‍योंकि सत्‍ता में वापसी की उम्‍मीद क्षीण होती जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा ने भारत के जन-गण-मन को एक नई स्‍फूर्ति प्रदान की है। आजाद भारत को कोई भी प्रधानमंत्री चीन की धरती पर जाकर उसे आइना दिखाने की हिम्‍मत नहीं कर पाया। मोदी के व्‍यक्तित्‍व से प्रभावित चीन की मीडिया को तो मोदी में पूर्व अमेरिकी राष्‍ट्रपति निक्‍सन की छवि दिखी। भारतीय उल्‍लासित हैं और विरोधी हतोत्‍साहित। सवाल सिर्फ इस बात का है कि क्‍या मोदी का विरोध भारत की बढ़ती ताकत की कीमत पर होना चाहिए? क्‍या मोदी की सराहना इसलिए नहीं होनी चाहिए कि उन्‍होंने पूरे विश्‍व में भारत की छवि को कमजोर राष्‍ट्र से बाहर निकालकर ताकतवर राष्‍ट्र की कर दी?

चीन यात्रा से जो तथ्‍य निकलकर सामने आए हैं उसमें 22 अरब डालर के व्‍यापारिक समझौते के अलावा सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि पहली बार भारत ने चीन के साथ विवादित मुद्दों पर खुलकर अपने विचार रखे। सीमा विवाद, पीओके में चीन की जरूरत से ज्‍यादा दखलंदाजी, अरूणाचल के निवासियों को नत्‍थी वीजा की सहूलियत जैसे कई ऐसे विवादास्‍पद मुद्दे हैं जिन पर भारत ने अपना रूख चीन की धरती पर जाकर साफ किया है।

यह सही है कि विवादित मुद्दों के मुहाने पर खड़े रहकर पड़ोसियों से संबंध नहीं सुधारे जा सकते हमें उनसे आगे निकलकर सोचना होगा। चीन के साथ भारत का व्‍यापार घाटा काफी ज्‍यादा बढ़ चुका है। व्‍यापारिक समझौतों के जरिए ही इस पर काबू पाया जा सकता है और फिर हम चीन की अनदेखी नहीं कर सकते। इसके बावजूद भी जिस तरह मोदी ने भारत के साथ चीन के विवादि‍त मुद्दों पर उन्‍हें आइना दिखाया है, मोदी से जलने वालों के लिए यह आलोचना का विषय बन सकता है।

अब विवादित मुद्दों पर भारतीय रूख के आगे चीन क्‍या कदम उठाता है यह तो भविष्‍य के गर्त में है लेकिन एक बात यह भी तय है कि चीन का काम भी भारत के बगैर नहीं चल सकता। चीनी उत्‍पादों के लिए भारत एक बहुत बड़ा बाजार है जिसकी अनदेखी करना चीन के लिए संभव नहीं है, ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि क्‍या चीन भारत की दोस्‍ती की इस नई पहल को सकारात्‍मक परिणाम तक पहुंचाएगा? क्‍योंकि यह तो चीनी प्रधानमंत्री ने भी माना है कि दोनो देशों के बीच विवाद के कई मुद्दे हैं लेकिन उनका यह कहना आशा की एक किरण है कि हमें इनसे आगे निकलना होगा।

कुछ भी हो मोदी के विश्‍व नेता की छवि को देखते हुए ऐसा संभव भी लगता है कि चीन इन विवादों को सुलझाने की दिशा में आगे बढ़े। यदि ऐसा होता है तो यह दोनो देशों के लिए अच्‍छा होगा।

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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