अन्तर्राष्ट्रीय
नेपाल भूकंप : काठमांडू में पटरी पर लौट रहा जनजीवन
काठमांडू | नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद राजधानी काठमांडू में अब जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। 25 अप्रैल को नेपाल में तेज भूकंप आया था, जिससे राजधानी काठमांडू सहित पूरा नेपाल बुरी तरह प्रभावित हुआ। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.9 आंकी गई थी। यहां तक कि नेपाल के आस-पास के क्षेत्रों भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और तिब्बत में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए और कुछ जगहों पर जान-माल की हानि भी हुई।
शनिवार को आए भूकंप के बाद से अब तक नेपाल में भूकंप के हल्की तीव्रता वाले 600 झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। हालांकि मंगलवार के बाद से भूकंप के और झटके महसूस नहीं किए गए हैं। काठमांडू में बुधवार सुबह कुछ दुकानें खुलीं और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी देखी गई। आपदा के चार दिनों बाद बिजली आपूर्ति फिर से शुरू हो गई है और संचार व्यवस्था भी दुरुस्त की जा चुकी है, लेकिन जरूरत की दूसरी चीजें जैसे पीने का पानी, डिब्बाबंद खाना और दूध अब भी बाजारों में उपलब्ध नहीं है।
इस बीच, हजारों लोग अब भी काठमांडू छोड़ने के लिए प्रयासरत हैं, क्योंकि क्षेत्र में और भी भूकंप आने की आशंका जताई गई है। सरकार ने लोगों को घाटी से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने के लिए कई संगठनों के साथ मिलकर 500 निशुल्क बसों की व्यवस्था की है। नेपाल सरकार ने एक बयान जारी कर कहा, “सरकार लोगों को काठमांडू से बाहर उनके परिजनों तक पहुंचाने के लिए निशुल्क यातायात परिवहन उपलबध कराएगी।” नेपाल के अलग-अलग हिस्सों से आजीविका कमाने के लिए काठमांडू में आकर रहने वाले हजारों लोग राजधानी छोड़कर जा रहे हैं। लोगों को डर है कि काठमांडू में फिर से बड़ा भूकंप आ सकता है।
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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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