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किसान सुसाइड : जांच पर दिल्ली पुलिस और आप सरकार में विवाद

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नई दिल्ली। आप की रैली में किसान गजेंद्र सिंह की सुसाइड से उठा विवाद और जोर पकड़ता नजर आ रहा है। खुदकुशी के इस मामले में दिल्ली पुलिस ने राज्य सरकार का सहयोग करने से मना कर दिया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इस मामले में डीएम जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस पर आपत्ति जताई है। दिल्ली पुलिस ने डीएम के पत्र के जवाब में कहा कि मामले की जांच का अधिकार डीएम को नहीं है, क्योंकि घटना उनके न्यायिक क्षेत्र में नहीं हुई। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी उन आरोपों को खारिज किया, जिसमें कहा गया है कि राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह को बचाने के लिए दिल्ली पुलिस ने कुछ नहीं किया। उन्होंने संकट से निपटने के लिए पुलिस के दृष्टिकोण को सही ठहराते हुए उसे स्पष्ट किया।

किसान सुसाइड मामले में दिल्ली पुलिस के डीसीपी विजय सिंह ने एक पत्र उस पत्र के जवाब में लिखा है, जिसमें डीएम ने मामले से जुड़े तथ्यों को साझा करने की बात की थी। पत्र में कहा गया कि उन्हें जांच का अधिकार नहीं है। पत्र में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस केस के संबंध में प्राथमिकी दर्ज है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है और वह सीधे गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है। इसके चलते दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने डीएम को इस घटना की जांच का आदेश दिया था।

दूसरी ओर लोकसभा में बयान जारी करते हुए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि घटना शर्मनाक है और संबंधित सभी लोगों को देश के किसानों के मुद्दों पर गौर करने के लिए एक साथ विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेड़ पर चढ़ने के लिए एक सीढ़ी मांगने के लिए पुलिस ने नियंत्रण कक्ष को सूचित किया। उन्होंने लोगों से ताली नहीं बजाने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि पुलिस के कहने के बावजूद भीड़ ने ताली बजाना बंद नहीं किया। गृह मंत्री ने कहा कि इसके बाद कुछ लोग पेड़ पर चढ़े और संभालने की कोशिश में किसान नीचे गिर गया। सिंह ने कहा, “इसके बाद उसे पुलिस वैन में अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।”

इस दौरान, उन्होंने हालांकि आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ कुछ नहीं कहा, जिसने किसान की मौत के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार और विपक्ष को विश्लेषण करना चाहिए कि आजादी के इतने साल बाद भी किसानों की स्थिति में सुधार क्यों नहीं आया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि क्रमबद्ध लोकप्रिय सरकारें ग्रामीणों और किसानों की स्थिति में सुधार करने में असफल रही है। दिल्ली में बुधवार को एक किसान द्वारा आत्महत्या करने की वजह से सदन में हंगामे के बीच सिंह ने यह बयान दिया। राजस्थान के दौसा के रहने वाले किसान गजेंद्र सिंह ने आम आदमी पार्टी के भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में बुलाई गई सभा के दौरान पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली थी।

सिंह ने कहा, “मैं सहमत हूं कि मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। किसान की मौत शर्मनाक है।” उन्होंने कहा, “हम सभी को इन मुद्दों पर सोचना चाहिए। ग्रामीणों और किसानों की स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ।” उन्होंने आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 1950-51 में भारत की कुल जीडीपी में किसानों का योगदान 55 प्रतिशत रहा, जो घटकर 14 प्रतिशत हो गया। हालांकि, देश की 58 प्रतिशत आबादी अभी भी कृषि में भी संलग्न है। सिंह ने कहा कि देश की 60 प्रतिशत आबादी को खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों में शामिल किया गया है। इससे गांवों में किसानों की व्यथा का पता चलता है।

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जमशेदपुर में बोले पीएम मोदी- पूरा हिंदुस्तान कह रहा है, फिर एक बार, मोदी सरकार

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जमशेदपुर। पीएम मोदी ने जमशेदपुर में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साझा। पीएम मोदी ने कहा कि जमशेदपुर में 4 जून को क्या परिणाम आने वाला है, यह आपका उत्साह बता रहा है। उन्होंने कहा कि मैं बहुत सालों तक भाजपा के संगठन का काम करता था। कोई मुझे कहे कि चुनावी रैली है, सुबह 10-11 बजे रख लो, मैं हाथ जोड़कर कहता था कि इतनी सुबह कौन आएगा, रहने दो। मैं कहता था कि 1-2 बजे रख दो। मैं जानता हूं इतनी सुबह इतनी बड़ी रैली करना लोहे के चबाने जैसा हाल होता है। लेकिन आज सुबह-सुबह जमशेदपुर में मैं जनजागृति का नया पर्व देख रहा हूं।

पीएम मोदी ने आगे कहा, चुनाव में देश की अर्थव्यवस्था की चर्चा होनी चाहिए या नहीं। चुनाव में उद्योगों, लघु उद्योगों की बात होनी चाहि या नहीं होनी चाहिए। चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा की बात होनी चाहिए की नहीं होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए। चुनाव में युवाओं में बनते नए अवसरों की बात होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए। लेकिन कांग्रेस वालों को इन सब से कोई मतलब नहीं है। इन्हें विकास का क, ख, ग, घ भी नहीं मालूम है। इनका तरीका है झूठ बोले, जोर से बोलो, बार-बार बोलो, इधर भी बोलो, उधर भी बोलो, खड़े-खड़े बोलो, नाच-नाच के बोलों। इनके मुद्दे हैं गरीब की संपत्ति का एक्स रे करेंगे। एस, एसटी का आरक्षण छीनेंगे। क्या इससे ज्यादा आगे ये सोच नहीं सकते हैं क्या। इंडी गठबंधन वाले, आपसे झूठ बोलते हैं।

उन्होंने कहा, “इनकी सच्चाई पूरा देश जान गया है। इसलिए पूरा हिंदुस्तान कह रहा है, फिर एक बार, मोदी सरकार। कांग्रेस और झामुमो और राजद जैसी पार्टियों ने हमारे झारखंड को हर मौके पर लूटा है। कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी है। कांग्रेस ने अनगिनत घोटालों में लूट के रिकॉर्ड बनाए। राजद को देखिए नौकरी के बदले, गरीब से जो बेचारा दो टाइम की रोटी के लिए नौकरी तलाशता था, ऐसे गरीब की जमीन लिखवा ली। जमीन भी छीन ली गरीब की। बदले में नौकरी का वादा किया। झामुमों ने वही आदतें, वही चरित्र कांग्रेस और राजद से सीखा है।” पीएम मोदी ने कहा कि इनके घरों से जो नोटों के पहाड़ बरामद हुए हैं वो पैसे हैं किसके? ये पैसा आपका है, आप हैं इन पैसों के मालिक। भोले-भाले मेरा आदिवासी, दलितों भाई-बहनों का यह पैसा है जो इन्होंने लूटा है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि ये लोग अपनी काली कमाई में से एक भी रूपया देते क्या। ये लूट करते हैं तो कहते हैं कि अरे भाई अरबों खरबों लूट लेंगे और वकील को क्या है जो चाहिए दे देंगे और फिर अदालत से निकल जाएंगे। फिर तो मौज ही मौज है। यानी वकील के लिए भी चोरी का पैसा। मोदी इन बेइमानों की ठिकानों से पैसा बरामद करवा रहा है। उन्होंने कहा कि नोटों का पहाड़ जो मैं पकड़ रहा हूं, मैं गारंटी देता हूं इसे सरकार की तिजोरी में ले जाने के लिए नहीं कर रहा हूं। मैं खोजूंगा कि ये पैसे किसके थे, क्यों देना पड़ा और कैसे दिया था। जब ये पक्का हो जाएगा कि ये पैसे किसके हैं तो उन सब गरीबों को ये पैसे उनको लौटा दूंगा।

पीएम मोदी ने संबोधन में आगे कहा कि कानूनी सलाह ले रहा हूं इसके लिए, रास्ते खोज रहा हूं। कांग्रेस के नेता खुलेआम कहते हैं कि जो कारोबारी हमें पैसा नहीं देते, हम उनपर खुलकर हमला करते हैं। मतलब कांग्रेस और झामुमों जैसे दलों को देश से मतलब नहीं, बल्कि उन्हें अपने भ्रष्टाचार और वसूली से मतलब है। मैं आज एक गंभीर विषय पर बात करना चाहता हूं। क्योंकि मैं आज उद्योग की धरती पर खड़ा हूं। कांग्रेस और उनके साथी, जहां-जहां उनकी सरकारें हैं, उन मुख्यमंत्रियों को चुनौती देता हूं। ये मेरे राजनीतिक बयान नहीं है। मैं गंभीरता से इस विषय को छेड़ना चाहता हूं। मीडिया वाले जो अपने आप को न्यूट्रल मानते हैं। वो इनके मुख्यमंत्रियों से सवाल पूछें कि कांग्रेस के शहजादे उद्योग, उद्योगपतियों, निवेश का विरोध करते हैं। आने वाले दिनों में कौन उद्योगपति उनके राज्य में जाकर के पूंजी निवेश करेगा। उन राज्यों के नवजवानों का क्या होगा। महाराष्ट्र में जो लोग चुनाव लड़ने के लिए हमारे सामने हैं। शहजादे की भाषा को ये मानते हैं क्या। सारे निवेशक जो मिलने आते हैं वो कहते हैं कि उन राज्यों में हम नहीं जाएंगे, क्योंकि वहां हमारे विरोध की विचारधारा है। उद्योगपतियों को गालियां दी जाती हैं।

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