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बजरंग दल पर निर्णायक कार्रवाई का वादा किया था, प्रतिबन्ध का नहीं: चिदबंरम

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नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में कांग्रेस ने बजरंग दल को पर कार्रवाई करने की घोषणा की थी। तब से ही इस मामले से सियासी पारा गरमाया हुआ है। बीजेपी ने कांग्रेस के इस कदम की कड़ी आलोचना की थी। अब कांग्रेस के बड़े नेता पी चिदबंरम ने इस विवाद पर सफाई दी है।

पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी के कर्नाटक चुनाव घोषणापत्र में यह नहीं कहा गया है कि संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा लेकिन कानून के तहत निर्णायक कार्रवाई का वादा किया गया था और यह उन सभी संगठनों को चेतावनी के रूप में कहा गया था जो देश में नफरत फैलाते हैं।

बजरंग दल विवाद पर चिदंबरम ने दिया जवाब

पी चिदंबरम से सवाल किया गया कि बजरंग दल जैसे संगठनों के खिलाफ संभावित कार्रवाई वाली घोषणा को बीजेपी ने चुनावी मुद्दा बना लिया है तो क्या इसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा। उन्होंने बजरंग दल विवाद के जवाब में स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में यह नहीं कहा गया है कि “हम बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाएंगे”।

उन्होंने कहा कि कृपया दो वाक्यों को फिर से पढ़ें। इसमें दो संगठनों का संदर्भ है जो अत्यधिक अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं और चरम कार्यों में लिप्त होते हैं। कांग्रेस ने नफरत फैलाने वाले सभी संगठनों को चेतावनी दी है। कांग्रेस ने कानून के तहत निर्णायक कार्रवाई का वादा किया था। उन्होंने कहा कि कानून के तहत, किसी संगठन पर प्रतिबंध लगाना एक न्यायिक प्रक्रिया है।

एनआरसी और यूसीसी दोनों करते हैं समाज को विभाजित

भाजपा की आलोचना पर निशाना साधते हुए उन्होंने बजरंग दल की तुलना बजरंगबली से करने पर भी सवाल उठाया और पूछा कि यह मैजिक बदला कैसे समझाया जा सकता है। पी चिदंबरम ने कहा कि लोकतंत्र और कर्नाटक के भविष्य के लिए, हमें भाजपा को कर्नाटक में जीतने से रोकना चाहिए और जीत का इस्तेमाल पड़ोसी राज्यों में शुरू करने के लिए करना चाहिए।

राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) की शुरूआत के भाजपा के वादे के बारे में पूछे जाने पर पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि दोनों ऐसे मुद्दे हैं जो समाज को विभाजित करने और सामाजिक संघर्ष को ट्रिगर करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए, कर्नाटक के लोग भाजपा के इस वादे को खारिज कर देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों में जो कुछ हुआ उसका हमें अनुभव है।

‘कांग्रेस को मिलेगा बहुमत’

पी चिदंबरम चुनावों के लिए कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग यहा बदलाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि मैं कर्नाटक का निवासी नहीं हूं, इसलिए मैं माइक्रो-विश्लेषण करने और यह अनुमान लगाने में असमर्थ हूं कि कांग्रेस कितनी सीटें जीत सकती है। उन्होंने कहा कि केपीसीसी (कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी) में मेरे वरिष्ठ सहयोगियों को भरोसा है कि कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलेगा।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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