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उत्तर प्रदेश

उपचुनाव: भाजपा ने घोषित किए प्रत्याशी, मैनपुरी से रघुराज सिंह शाक्य  

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Raghuraj Singh Shakya dimple yadav

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लखनऊ। उप्र की मैनपुरी लोकसभा व खतौली और रामपुर विधानसभा पर हो रहे उपचुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। पार्टी ने मैनपुरी में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के सामने सपा से ही दो बार सांसद रह चुके और रघुराज सिंह शाक्य (Raghuraj Singh Shakya) को प्रत्याशी बनाया है।

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भाजपा ने खतौली से निवर्तमान विधायक विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी व रामपुर से पूर्व में पर्त्याशी रहे आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा है।

शिवपाल सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले दो बार सांसद और एक बार विधायक रघुराज शाक्य पिछड़ा वर्ग में अच्छी पैठ रखते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि मुलायम सिंह की विरासत डिंपल के नाम होगी या भाजपा मैनपुरी में सेंध लगा पाएगी। लंबे इंतजार के बाद भाजपा ने मैनपुरी लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

सपा के टिकट पर विधायक बने थे रघुराज शाक्य

इटावा निवासी रघुराज सिंह शाक्य सपा में रहते हुए 1999 और वर्ष 2004 में सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी सपा की टिकट पर इटावा सदर सीट से उन्होंने जीत हासिल की। मैनपुरी में रघुराज सिंह शाक्य को प्रत्याशी बनाए जाने के पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे।

रोचक होगा मैनपुरी का चुनाव

लोग मान रहे हैं कि रघुराज सिंह शाक्य भी राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी हैं क्योंकि शिवपाल की सपा से पारिवारिक तल्खी और रघुराज से नजदीकियां चुनाव में उन्हें फायदा पहुंचा सकती हैं। माना जा रहा है कि चुनाव अब रोचक होगा। भाजपा हर हाल में सपा का मिथक तोड़ने के लिए मैनपुरी लोकसभा सीट जीतने पर पूरा जोर लगाएगी।

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उत्तर प्रदेश

यूपी में अबतक 6 हजार से अधिक युवाओं के उद्यम स्वीकृत

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लखनऊ। प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए शुरू की गई सीएम योगी आदित्यनाथ की फ्लैगशिप स्कीम ‘मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना’ (एमवाईएसवाई) और ‘मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना’ (एमएमजीआरवाई) ने शानदार प्रदर्शन किया है। प्रदेश में अब तक 6 हजार से अधिक युवाओं के छोटे बड़े उद्यमों को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत स्वीकृत किया जा चुका है। वहीं मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के अंतर्गत स्वीकृत हुए 723 इकाइयों में से 605 को धनराशि प्रदान की जा चुकी है। हाल ही में प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के सामने प्रस्तुत की गई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की त्रैमासिक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है।

7500 यूनिट्स को धनराशि प्रदान करने का लक्ष्य

उत्तर प्रदेश राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक और बैंक ऑफ बड़ौदा के महाप्रबंधक समीर रंजन पांडा के अनुसार योजना का उद्देश्य प्रदेश के युवाओ को उद्यम शीलता के लिए प्रोत्साहित करने और अन्य युवाओं के लिए रोजगार का अवसर प्रदान करना है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार युवाओ को वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रही है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सके और अपने व्यवसाय का सफलतापूर्वक संचालन कर सकें। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 7500 यूनिट्स को धनराशि प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष अबतक 6259 इकाइयों को सरकार की ओर से स्वीकृति मिल चुकी है। वहीं अबतक 5648 इकाइयों को धनराशि वितरित की जा चुकी है। इसमें शुरुआत में कुल मार्जिन मनी 14550 लाख रुपए तय की गई थी, जिससे अधिक अबतक 16360 लाख रुपए को स्वीकृति मिल चुकी है, जबकि 14821 लाख रुपए युवाओं को वितरित भी किये जा चुके हैं। बात करें मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना की तो इसमें भी 800 इकाइयों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 90 प्रतिशत से अधिक यानी 723 इकाइयों को स्वीकृति मिल चुकी है और लक्ष्य का 76 प्रतिशन यानी 605 यूनिट्स को लाभान्वित किया जा चुका है।

युवाओं के उद्यम के सपने को साकार कर रही योजना

बता दें कि उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रारंभ की गई एक फ्लैगशिप योजना है। इस योजना को सितंबर 2018 में शुरू किया गया था। योजना का उद्देश्य प्रदेश के बेरोजगार युवाओ को उनके उद्यम के सपने को साकार करने के लिए वित्तीय सहायता और अन्य सहयोग प्रदान करना है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार पात्र आवेदकों को इंडस्ट्री लगाने के लिए रु. 25लाख तक और सेवा क्षेत्र के लिए रु. 10 लाख तक का ऋण उपलब्ध कराती है। इस योजना की नोडल एजेंसी डीआईसी, कानपुर है।

पात्रता के लिए 18 साल से ऊपर होनी चाहिए उम्र

मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थी को उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए, जिसकी उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता न्यूतम हाई स्कूल होना चाहिए और वह किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक का डिफॉल्टर नहीं होना चाहिए। सभी स्रोतों से उसकी (ओबीसी, अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग) वार्षिक आय 2 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए वहीं एससी-एसटी श्रेणी के लिए ये लिमिट ढाई लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।

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