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अन्तर्राष्ट्रीय

आखिर क्यों पुतिन ने बोला यूक्रेन पर हमला? क्या थी जंग छिड़ने की वजह? यहां पढ़ें

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कई महीनों तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर हमले की किसी भी योजना से इनकार करते रहे। लेकिन गुरुवार को उन्होंने एक लाइव टीवी कार्यक्रम में यूक्रेन में ‘स्पेशल मिलिटरी ऑपरेशन’ का एलान कर दिया। रूसी राष्ट्रपति के इस एलान के बाद यूक्रेन की राजधानी कीएफ़ समेत देश के अन्य हिस्सों में धमाकों की आवाजें सुनी गईं।

Economic Crime Bill: What is it and will it find Putin's loot? - BBC News

रूस की तरफ़ से ये कार्रवाई पुतिन के मिन्स्क शांति समझौते को खत्म करने और यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों में सेना भेजने की घोषणा के बाद की गई है। रूस की तरफ़ से इन राज्यों में सेना भेजने की वजह ‘शांति कायम करना’ बताया गया है। रूस ने हाल के महीनों में यूक्रेन बॉर्डर के पास लगभग 2 लाख सैनिकों को तैनात किया हुआ था, जिसके बाद यूक्रेन पर हमले की अटकलें काफ़ी वक़्त से लगाई जा रही थीं।

हालांकि रूस लगातार इन अटकलों को ख़ारिज करता रहा। अब जब हालात और ख़राब हो चुके हैं और यूक्रेन के कई शहरों पर रूस के हमले की ख़बरें और तस्वीरें आने लगी हैं, तो ऐसे में सब के मन ये सवाल आता है कि आख़िर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते क्या हैं? इसे समझने के लिए हमें 8 साल पीछे यानी साल 2014 में चलना होगा। तब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। उस वक़्त रूस समर्थित विद्रोहियों ने देश के पूर्वी हिस्से में एक अच्छे खासे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया था। उस वक़्त से लेकर आज तक इन विद्रोहियों की यूक्रेन की सेना से भिड़ंत लगातार जारी है। दोनों देशों के बीच टकराव टालने के लिए मिन्स्क का शांति समझौता भी हुआ, लेकिन उसके बाद भी टकराव ख़त्म नहीं हुआ। पुतिन का तर्क है कि इसी वजह से वो सेना भेजने को मजबूर हैं।

The agent and the comic: Putin, Zelensky in fight for Ukraine

रूस ने लंबे समय से यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन, नेटो और अन्य यूरोपीय संस्थाओं के साथ क़रीबी का विरोध किया है। हालिया घटनाक्रमों के पीछ पुतिन का तर्क है कि यूक्रेन पूर्ण रूप से कभी एक देश था ही नहीं, उन्होंने यूक्रेन पर पश्चिमी देशों की कठपुतली बनने का भी आरोप लगाया है। पुतिन यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यूक्रेन नेटो में शामिल नहीं हो पाए। इसके लिए वह यूक्रेन और अन्य पश्चिमी देशों से गारंटी चाहते हैं। उनकी मांग है कि यूक्रेन अपना सैन्यीकरण बंद करे और किसी गुट का हिस्सा ना बने। सोवियत संघ का हिस्सा रहने की वजह से यूक्रेन का रूसी समाज और संस्कृति से गहरा जुड़ाव रहा है। वहां रूसी भाषा बोलने वालों की संख्या भी अच्छी खासी है। लेकिन 2014 के हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्ते काफ़ी ख़राब हुए हैं। 2014 में रूस समर्थक माने जाने वाले यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति को सत्ता छोड़नी पड़ी। इसके बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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