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आखिर क्या होता है Exit Poll? कैसे लगाए जाते हैं काउंटिंग से पहले नतीजों के अनुमान?

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आज 7वें और आखिरी चरण की वोटिंग जारी है। वाराणसी समेत 9 राज्यों में 54 सीटों पर मतदान चल रहा है। शाम को वोटिंग खत्म होने के बाद एग्जिट पोल दिखाए जाएंगे। ये एग्जिट पोल उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनावों के भी रहेंगे। एग्जिट पोल से चुनावी नतीजों की एक तस्वीर पता चलती है।

कैसे कराए जाते हैं एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल में एक सर्वे किया जाता है, जिसमें वोटरों से कई सवाल किए जाते हैं। उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया। ये सर्वे वोटिंग वाले दिन ही होता है। सर्वे करने वाली एजेंसियों की टीम पोलिंग बूथ के बाहर वोटरों से सवाल करती है। इसका एनालिसिस किया जाता है और इसके आधार पर चुनावी नतीजों का अनुमान लगाया जाता है। भारत में कई सारी एजेंसियां एग्जिट पोल करवाती हैं।

तीन तरह के होते हैं चुनावी सर्वे

1. प्री पोलः ये सर्वे चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद और वोटिंग शुरू होने से पहले किए जाते हैं। जैसे 5 राज्यों की चुनाव की तारीखों का ऐलान 9 जनवरी को हुआ था और 10 फरवरी से पहले चरण की वोटिंग शुरू हुई थी, तो प्री पोल सर्वे 9 जनवरी के बाद और 10 फरवरी से पहले हो चुके होंगे।

2. एग्जिट पोलः ये सर्वे वोटिंग की तारीख वाले दिन ही होती है। इसमें वोटरों का मन टटोलने की कोशिश की जाती है। उत्तर प्रदेश में 7 चरण में चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में हर चरण की वोटिंग वाले दिन ही ये सर्वे होता है। ये पोलिंग बूथ के बाहर किया जाता है और वोट देकर बाहर आने वाले लोगों से सवाल किए जाते हैं।

3. पोस्ट पोलः ये सर्वे वोटिंग खत्म होने के बाद किया जाता है। जैसे 7 मार्च को वोटिंग खत्म हो जाएगी। अब कल से या एक-दो दिन बाद से पोस्ट पोल सर्वे शुरू हो जाएगा। इसमें आमतौर पर ये जानने की कोशिश होती है कि किस तरह के वोटर ने किस पार्टी को वोट दिया।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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