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अन्तर्राष्ट्रीय

फेसबुक का बड़ा दावा- अभद्र भाषा के इस्तेमाल में आई 50 फीसदी की कमी

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नई दिल्ली। अभद्र भाषा से निपटने में असमर्थता को लेकर मीडिया में आई खबरों को खारिज करते हुए फेसबुक ने दावा किया है कि पिछली तीन तिमाहियों में उसके मंच पर अभद्र भाषा का प्रचलन लगभग 50 प्रतिशत कम हो गया है।

यह दावा रविवार को द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) की एक रिपोर्ट के जवाब में आया, जिसमें कहा गया था कि फेसबुक के कंटेंट मॉडरेटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करके आपत्तिजनक सामग्री को हटाने में लगातार सफल नहीं हो रहे हैं।

एक जवाब में, फेसबुक में वाइस-प्रेसिडेंट ऑफ इंटीग्रिटी, गाइ रोसेन ने कहा कि उनकी तकनीक का फेसबुक पर लोगों द्वारा देखे जाने वाले अभद्र भाषा को कम करने पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने कहा, हमारी लेटेस्ट सामुदायिक मानक प्रवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, इसकी व्यापकता देखी गई सामग्री का लगभग 0.05 प्रतिशत है या प्रत्येक 10,000 पर लगभग पांच बार देखा गया है, जो पिछली तीन तिमाहियों में लगभग 50 प्रतिशत कम है।

रोसेन ने कहा, लीक किए गए दस्तावेजों से निकाले गए डेटा का उपयोग एक कथा बनाने के लिए किया जा रहा है कि नफरत फैलाने वाले भाषण से लड़ने के लिए हम जिस तकनीक का उपयोग करते हैं वह अपर्याप्त है और हम जानबूझकर अपनी प्रगति को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं। यह सच नहीं है।

डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आंतरिक दस्तावेज बताते हैं कि दो साल पहले, फेसबुक ने मानव समीक्षकों द्वारा अभद्र भाषा की शिकायतों पर ध्यान केंद्रित करने के समय को कम कर दिया था और अन्य समायोजन किए जिससे शिकायतों की संख्या कम हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया है, इससे बदले में यह दिखने में मदद मिली कि फेसबुक का एआई कंपनी के नियमों को लागू करने में वास्तव में जितना सफल था, उससे कहीं अधिक सफल रहा।

रोसेन ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि केवल सामग्री हटाने पर ध्यान केंद्रित करना यह देखने का गलत तरीका है कि हम अभद्र भाषा से कैसे लड़ते हैं।

फेसबुक ने कहा कि जब उसने अभद्र भाषा पर मेट्रिक्स की रिपोटिर्ंग शुरू की, तो उसके द्वारा हटाई गई सामग्री का केवल 23.6 प्रतिशत ही उसके सिस्टम द्वारा सक्रिय रूप से पाया गया। उसने जो कुछ हटाया, उसका अधिकांश हिस्सा लोगों को मिला।

फेसबुक के कार्यकारी ने कहा, अब यह संख्या 97 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन हमारी सक्रिय दर हमें यह नहीं बताती है कि हम क्या खो रहे हैं और हमारे प्रयासों के योग के लिए जिम्मेदार नहीं है, जिसमें हम समस्याग्रस्त सामग्री के वितरण को कम करने के लिए क्या करते हैं।

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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