अन्तर्राष्ट्रीय
राफेल बनाने वाली कंपनी के मालिक की हैलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत
नई दिल्ली। फ्रांस के अरबपति और संसद सदस्य राजनेता ओलिवियर डसॉल्ट की हैलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने खुद इसकी जानकारी ट्विटर पर दी है। वह 69 साल के थे।
डसॉल्ट फ्रांस के फेमस उद्योगपति सर्ज डसॉल्ट के सबसे बड़े बेटे थे, जिनका ग्रुप राफेल युद्धक विमानों का निर्माण करता है साथ ही इस ग्रुप का ले फिगारो नाम का एक अखबार भी है।
फोर्ब्स 2020 की सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में ओलिवियर दसॉ को 361वां स्थान मिला था। दरअसल, ओलिवियर डसॉल्ट इन दिनों छुट्टियां मनाने गए थे। इसी दौरान उनका निजी हेलीकॉप्टर नॉर्मंडी दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
मैक्रॉन ने अपने ट्वीट में लिखा कि ओलिवियर डसॉल्ट फ्रांस से प्यार करते थे। उन्होंने उद्योग, कानून निर्माता, स्थानीय निर्वाचित अधिकारी, वायु सेना में कमांडर के रूप में देश की सेवा की। उनका आकस्मिक निधन एक बहुत बड़ी क्षति है।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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