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प्रादेशिक

एयर इंडिया के विमान ने भोपाल में खाए हिचकोले

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भोपाल। दिल्ली से उड़ा एयर इंडिया का विमान शनिवार रात मध्यप्रदेश की राजधानी में आकर आंधी में फंस गया और हिचकोले खाने लगा। इससे विमान में बैठे यात्रियों में कोहराम मच गया। जब विमान को सकुशल जमीन पर उतारा गया, तब यात्रियों की जान में जान आई।
एयर इंडिया का विमान एआई-4371 शनिवार की शाम लगभग सवा सात बजे दिल्ली से भोपाल के लिए रवाना हुआ। इस विमान को लगभग साढ़े आठ बजे भोपाल के राजभोज विमानतल पर उतरना था। विमान जब भोपाल के पास आया तो यहां का मौसम खराब था, आंधी चल रही थी। विमान तेज हवाओं के बीच फंसकर हिचकोले खाने लगा। तब उसे झटके के साथ कई फुट नीचे लाना पड़ा। इस बीच यात्रियों में कोहराम मच गया। बच्चे चीखने-चिल्लाने लगे।

विमान में सवार यात्री डॉ. आर.टी. पाटिल ने रविवार सुबह मीडिया को बताया कि भोपाल के आसमान में आते ही हवाईजहाज अचानक ऊपर-नीचे होने लगा। हिचकोलों ने यात्रियों को डरा दिया था। कई यात्रियों ने तो अपने परिजनों को संदेश भेजने के लिए मोबाइल पर यह तक टाइप कर लिया था कि यह उनकी ‘अंतिम यात्रा’ है। घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए डॉ. पाटिल ने बताया कि विमान जब हवाओं के बीच फंस गया तो पायलट ने दो बार विमान को भोपाल हवाईपट्टी पर उतारने की कोशिश की, मगर सफलता नहीं मिली। इसके बाद पायलट ने तो खराब मौसम का हवाला देते हुए यात्रियों से यहां तक कह दिया कि विमान की लैंडिंग अब अहमदाबाद में करनी पड़ेगी। बाद में पायलट ने अपनी सूझबूझ से विमान को नीचे लाया।

डॉ. पाटिल के अनुसार, हिचकोले के वक्त सभी यात्री डरे-सहमे थे। सभी अपने आराध्य को याद करने में लगे थे। तभी पायलट ने तीसरी बार जहाज को हवाईपट्टी पर उतारने की कोशिश की, जिसमें वह कामयाब रहा। विमान के भोपाल में उतरने के बाद सभी यात्रियों ने राहत की सांस ली। यहां फ्लाइट की लैंडिंग रात लगभग नौ बजकर 10 मिनट पर हुई। भोपाल विमानतल के निदेशक गुणाशेखरन ने बताया कि आंधी के कारण विमान को उतरने में कुछ देरी जरूर हुई, मगर यात्रियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हुई, पायलट की सूझबूझ से स्थिति जल्द ही संभल गई।

उत्तर प्रदेश

हेल्थ सेक्टर में योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि, 35 हेल्थ यूनिट्स को मिला ‘एनक्वास’

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लखनऊ| योगी सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के योगी सरकार के प्रयास का ही नतीजा है कि प्रदेश की 35 और स्वास्थ्य इकाइयों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्वास) सर्टिफिकेट मिला है। इसके साथ ही प्रदेश में एनक्वास प्रमाणित स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या बढ़कर 217 पहुंच गई है। यह प्रमाण पत्र प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों को गुणवत्तापूर्ण इलाज, स्वास्थ्य के मानकों को पूरा करने एवं उस पर खरा उतरने पर मिला है। बता दें कि एनक्वास के तहत स्वास्थ्य इकाइयों की सेवा गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए किए गए ठोस प्रयासों से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन निदेशक डा. पिंकी जोवल ने हाल ही में प्रदेश के सभी अपर निदेशकों व सीएमओ को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया है कि वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत और वर्ष 2026 तक सभी स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाणित कराने के निर्धारित लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में अपने कार्य को गति दें।

32 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को मिला प्रमाण पत्र

एनएचएम की मिशन निदेशक ने बताया कि सीएम योगी की नीतियों का असर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में दिखने लगा है। इसके तहत प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों में प्रदेशवासियों को सस्ता और गुणवत्तापूर्ण इलाज दिया जा रहा है। यही वजह है कि पिछले पांच माह में 35 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाण पत्र मिला है, जिसमें 32 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। एनएचएम के महाप्रबंधक क्वालिटी एश्योरेंस डॉ. निशांत कुमार जायसवाल ने बताया कि इस वर्ष एनक्वास पाने वाली सीएचसी में वाराणसी की चोलापुर और रामपुर की बिलासपुर सीएचसी शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदेश में एनक्वास प्रमाणित स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या बढ़कर 217 पहुंच गई है। एनक्वास प्रमाण पत्र के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता मूल्यांकनकर्ता डॉ. मुस्तफा खान ने बताया कि एक बार जब किसी स्वास्थ्य इकाई को एनक्वास प्रमाणपत्र मिल जाता है तो यह निश्चित है कि वहां आने वाले सभी रोगियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संचालन प्रक्रिया और मानक उपचार दिशानिर्देशों का पालन होगा। इसका मतलब है कि सभी रोगियों को यह विश्वास हो जाता है कि उनका इलाज उसी प्रक्रिया से किया जा रहा है, जिस प्रक्रिया से अमेरिका या ब्रिटेन में किसी अन्य रोगी का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र रोगी के अधिकारों, जिम्मेदारी और अस्पताल के कर्मचारियों की संतुष्टि को भी सुनिश्चित करता है।

प्रदेश में एनक्वास पाने वाली स्वास्थ्य इकाइयों में राजधानी अव्वल

प्रदेश में अब तक कुल 95 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और 122 अन्य स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्राप्त हो चुका है। इनमें लखनऊ में अब तक सबसे अधिक 15 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास मिला है। इस संबंध में बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुणा ने बताया कि एनक्वास मिलने के बाद उनके अस्पताल में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ी हैं। आईसीयू अपडेट हुआ है। अस्पताल का जो स्टाफ एनक्वास पाने की प्रक्रिया में शामिल था, उन सबमें जिम्मेदारी की भावना बढ़ी है। इनमें पहले स्थान पर राजधानी है। राजधानी के सिविल अस्पताल, झलकारी बाई अस्पताल, अवंती बाई अस्पताल, रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, बख्शी का तालाब व सरोजनी नगर सीएचसी व पांच आयुष्मान आरोग्य मंदिर को एनक्वास प्रमाण पत्र मिला है। वहीं दूसरे नंबर पर प्रयागराज है, जहां 12 स्वास्थ्य इकाइयों को अब तक एनक्वास मिल चुका है। सिर्फ एक स्वास्थ्य इकाई में एनक्वास पाने वाले जिलों में सीतापुर, हरदोई, बरेली, मुरादाबाद, औरेया, बागपत, बहराइच, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, सिद्धार्थनगर, बुलंदशहर शामिल हैं।

इन मानकों पर खरा उतरने पर मिलता है एनक्वास

एनक्वास, भारत सरकार की संस्था ‘नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर” द्वारा दिया जाने वाला राष्ट्रीय प्रमाणपत्र है जो स्वास्थ्य इकाइयों को विभिन्न मानकों पर परखने और मानक पूरा होने पर प्राप्त होता है। एनक्वास न सिर्फ जिला अस्पताल, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व आयुष्मान आरोग्य मंदिर को मिल सकता है। इसके तहत सरकारी अस्पतालों के मुख्य आठ विभागों की सेवाएं को मापदंड पर परखा जाता है। इन विभागों में अंत: रोगी विभाग, रेडियोलॉजी विभाग, प्रसूति वार्ड, ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर, प्रयोगशाला, फार्मेसी, प्रशासनिक विभाग, सेवा विभाग का कामकाज देखा जाता है। इनके अलावा बायोमैट्रिक हाजिरी, ई-उपचार, मरीजों को मिलने वाला भोजन भी टीम परखती है। साथ ही सेवा प्रदाताओं के व्यवहार का भी आकलन किया जाता है।

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