अन्तर्राष्ट्रीय
अर्जेटीना ने ब्रिटिश राजदूत को तलब किया
ब्यूनस आयर्स| अर्जेटीना ने गुरुवार को ब्यूनस आयर्स में ब्रिटिश राजदूत जॉन फ्रीमैन को उनके उस खुलासे पर तलब किया, जिसके मुताबिक, दक्षिण अमेरिकी देश के खिलाफ प्रचार अभियान छेड़ने के लिए ब्रिटेन ने एक विशेष जासूसी दल का इस्तेमाल किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अर्जेटीना के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस जासूसी का उद्देश्य माल्विनास द्वीप को लेकर अर्जेटीना के साथ चल रहे ब्रिटेन के क्षेत्रीय विवाद में ब्रिटेन के लिए समर्थन जुटाना है।
मंत्रालय ने कहा, “अर्जेटीना की सरकार ने फ्रीमैन से माल्विनास को लेकर अर्जेटीना के खिलाफ किए गए इस बड़े खुलासे पर स्पष्टीकरण मांगा है।”
न्यूज एजेंसी ‘टेलम’ ने बताया कि अर्जेटीना के इंटरसेप्ट और केबल न्यूज चैनल ‘टोडो नोटिशियस’ ने पिछले गुरुवार को संयुक्त रूप से यह रहस्योद्घाटन दिखाया कि वर्ष 2006 और 2011 के बीच ब्रिटेन की सरकार ने माल्विनास द्वीपसमूह को लेकर चल रहे क्षेत्रीय विवाद पर अर्जेटीना की नीतियों और उसके उद्देश्यों का पता लगाने के लिए देश के विभिन्न नेताओं और सैन्य प्रमुखों की जासूसी कराई थी।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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