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राम मंदिर पर आया अमित शाह का बड़ा बयान, जानकर आपको भी होगी हैरानी!

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नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद द्वारा किए जा रहे धर्म सभा के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह का बड़ा बयान सामने आया है।

आजतक तक को दिए साक्षात्कार में शाह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ही मंदिर निर्माण पर सरकार कोई फैसला लेगी।

‘आजतक’ के ‘सीधी बात’ कार्यक्रम में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि इस समय राम मंदिर का मुद्दा कोई रणनीतिक नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 9 साल से चल रहा है।

बीजेपी ने कभी भी इस केस को टालने के लिए नहीं कहा, लेकिन कांग्रेस ने कोर्ट से मामले की सुनवाई टालने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हमारा बस चलता तो अब तक मामला सुलझ गया होता।

शाह ने सुप्रीम कोर्ट पर उम्मीद जताते हुए कहा कि जनवरी में इस मामले में सुनवाई होगी और वो आशा करते हैं कि सब सही हो जाएगा।

राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने के सवाल पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कोर्ट के फैसले से पहले कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।

अमित शाह ने शिवसेना के राम मंदिर हाईजैक करने से जुड़े सवाल पर तंज कसते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे अपने जन्म के बाद पहली बार अयोध्या आए हैं। आने दीजिए।

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से राम मंदिर का मुद्दा सियासी दलों द्वारा जोर-शोर से उठाया जा रहा है। इसी कड़ी में शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अयोध्या पहुंचे जहां शाम को उन्होंने सरयू की आरती की और रविवार सुबह रामलला के दर्शन किए। दर्शन के बाद मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उद्धव ने कहा कि वह क्रेडिट लेने नहीं बल्कि सरकार को जगाने आए हैं।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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