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पूर्वोत्तर के लोग दूसरे दर्जे के नागरिक नहीं : संगमा

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शिलांग| पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पूर्णो ए. संगमा ने शनिवार को यहां कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के लोग भारत के दोयम दर्जे के नागरिक नहीं है। देश के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय से सांसद संगमा ने कहा, “हम और लोगों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं। हम दोयम दर्जे के नागरिक कैसे हैं? हम पहले दर्जे के नागरिक हैं। इस क्षेत्र के कई लोग जैसे मेरी कॉम और अन्य ने अपना नाम रौशन किया है। आप भी अपना नाम रौशन कर सकते हैं।”

संगमा ने हालांकि देश के महानगरों में पूर्वोत्तर के लोगों पर लगातार हो रहे अत्याचार पर खेद जताया। उन्होंने कहा, “आज आप भारत के अन्य भागों में रह रहे पूर्वोत्तर के लोगों पर हो रहे अत्याचार की कई घटनाओं के बारे में सुनते हैं। इसके कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां के लड़के-लड़कियां सफलतापूर्वक स्पर्धा में भाग ले रहे हैं और आज के समय में रोजगार पर कब्जा कर रहे हैं।”

उन्होंने युवाओं से स्पर्धा में भाग लेने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अर्जित करने की गुहार लगाई ताकि भारत को बदल सकें। संगमा ने कहा कि पूर्वोत्तर के ज्यादातर छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अर्जित नहीं करते, क्योंकि वह सिर्फ शिक्षा से ही संतुष्ट हो जाते हैं। साथ ही उन्होंने कहा, “पूर्वोत्तर में हम आदिवासी लोगों को सिर्फ शिक्षा से मतलब होता है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से नहीं और ऐसा शायद इसलिए क्योंकि हमें सबकुछ रेडीमेट मिल जाता है। उनके लिए प्रवेश, छात्रवृत्ति, उच्चशिक्षा, रोजगार सभी सुरक्षित हैं। इसीलिए उन्हें इसकी जरूरत नहीं है।”

संगमा ने कहा, “भविष्य बिल्कुल अलग होने वाला है। हमारे लोगों को स्पर्धा में भाग लेना सीखना होगा। आरक्षित क्षेत्रों में सरकारी नौकरियां कम होती जा रही हैं। लेकिन वे जगहें जहां पर आरक्षण नहीं है (निजी क्षेत्र) उनमें तेजी से वृद्धि हो रही है। एक आदिवासी होने के नाते क्या हम इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए स्पर्धा में भाग लेने को तैयार हैं। हां बहुत ज्यादा।”

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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