Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

गोवा : संस्कृति विभाग ने पुराना ड्रेस कोड वापस लिया

Published

on

Loading

पणजी| गोवा सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने कहा कि इसके कर्मचारियों को बिना बांह के कपड़े और जींस पहनने पर रोक लगाने संबंधी आदेश को गलत समझा गया। इस आदेश ने राज्य के साथ-साथ देशभर में विवाद पैदा कर दिया था। कला एवं संस्कृति विभाग के निदेशक प्रसाद लोलेकर ने शुक्रवार को जारी नए निर्देश में सभी कर्मचारियों को अर्ध-औपचारिक, औपचारिक या स्मार्ट परिधान पहन कर कार्यालय आने को कहा।

लोलयेकर ने अपने नए आदेश में कहा, “निदेशक कार्यालय की तरफ कार्यालय में या कार्यालय के कार्यक्रम में औपचारिक परिधान पहनने के निर्देश कार्यालय में शिष्टाचार बनाए रखने को लेकर दिए गए थे। हालांकि, कार्यालय के निर्देश को गलत समझा गया। कार्यालय के निर्देश में सही शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया था और न ही सही तरीके से लिखा गया था, जिसके कारण इसे गलत समझने की संभावना मौजूद थी।”

इसी कार्यालय की तरफ से पूर्व में जारी आदेश में अधिकारियों को जींस, कोडुरॉय, टी-शर्ट, कई जेबों वाले ट्राउजर, बिना बांह वाली ड्रेस न पहनने को कहा गया था, लेकिन इस पर विवाद तब शुरू हुआ जब 24 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान यह सदन के पटल पर रखा गया।

पुराने आदेश को रद्द करते हुए नए आदेश में कहा गया है, “सभी कर्मचारियों को यह सूचित किया जाता है कि वे निदेशक कार्यालय या कार्यालय संबंधी कार्यक्रम में अर्ध-औपचारिक, औपचारिक या स्मार्ट परिधान पहनेंगे, ताकि कार्यालय के शिष्टाचार को बरकरार रखा जा सके।”

गोवा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सकरार के कई मंत्रियों ने पिछले सप्ताह पाश्चात्य परिधानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा था कि यह भारतीय संस्कृति के खिलाफ है।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

Published

on

Loading

अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

Continue Reading

Trending