आध्यात्म
चंद्रग्रहण 2018: तुसली के पत्ते बना सकते हैं आपको करोड़पति, बस करना है ये उपाय!
21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण और साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 27 जुलाई को है। इसमें पूर्णचंद्र ग्रहण की स्थिति 103 मिनट तक रहेगी। भारत में यह रात 11 बजकर 55 मिनट से 3 बजकर 54 मिनट पर पूर्ण होगा। इसकी कुल अवधि 6 घंटा 14 मिनट रहेगी। इस चन्द्र ग्रहण में सुपर ब्लड ब्लू मून का नजारा भी दिखेगा। चंद्र ग्रहण के समय चांद ज्यादा चमकीला और बड़ा नजर आएगा इसमें पृथ्वी के मध्यक्षेत्र की छाया चंद्रमा पर पड़ेगी।
चंद्र ग्रहण का असर राशियों पर भी पड़ता है। कुछ राशियों पर अच्छा असर पड़ता है और कुछ राशियों पर बुरा असर पड़ता है। जैसे वृष, कर्क, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ रहेगा। मेष, सिंह, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण सामान्य रहेगा।
मिथुन, तुला, मकर और कुंभ राशि वालों के लिए यह ग्रहण अशुभ हो सकता है। यह चंद्र ग्रहण कई मायनों में अत्यधिक महत्व का है। चंद्र ग्रहण के दौरान कई ऐसे उपाय होते हैं तो ग्रहण के असर को कम करते हैं। ऐसा ही एक उपाय है तुलती का पत्ता।
तुलसी पत्ते के इस उपाय से बन जाएंगे करोड़पति –
ज्योतिष शास्त्र में तुलसी का खास महत्व है। किसी की चीज को शुद्ध करने के लिए तुलसी का इस्तेमाल होता है। तुलसी से जुड़ा उपाय आपके घर में नकारात्मक उर्जा को खत्म करता है जिससे आपकी किस्मत चमक जाएंगी और आपके घर में जमकर धन की वर्षा होने लगेगी।
नहाने के पानी में डाल दें। अब इसी तुलसी रखे पानी से घर के सभी लोगों को नहाना चाहिए। इससे परिवार की नकारात्मक उर्जा खत्म हो जाती है। इसके साथ ही घर में लक्ष्मी का निवास होता है। परिवार में सुख-संपत्ति और शांति का वास होता है। आपको बता दें कि ये धार्मिक मान्यताएं है।
तुलसी के पत्ते का खास महत्व –
ज्योतिष के मुताबिक ग्रहण के दौरान तुलसी रखे पानी से नहाने से ग्रहण का प्रभाव खत्म हो जाता है। अगर आप पांच रुपए के सिक्के को अच्छे से साफ कर उसे तुलसी के 11 पत्तों से अच्छे से बांधे ताकि देखने में वो पोटली की तरह लगे और उसे हरे रंग के कपड़े में बांधकर पानी की टंकी उस टंकी में डाल दें, जिसके नहाने का पानी आता हो तो उस पानी से नहाने से आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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