Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

जंगली कंद-मूल से बन रहे सौंदर्य उत्पाद

Published

on

Loading

रायपुर। छत्तीसगढ़ के जनजातीय अंचल बस्तर में पाए जाने वाले कुछ जंगली कंद-मूल से सौंदर्य उत्पाद, बेबीफूड, कैप्सूल का खोल तथा साबूदाना बनाया जा रहा है। यहां उत्पादित तीखुर का विदेशों में भी निर्यात हो रहा है। यहीं से कच्चा माल ले जाकर पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में साबूदाना बनाया जाता है।

बस्तर में पाए जाने वाले कोचई, तीखुर, जिमिकंद, शकरकंद, मिश्रीकंद, रतालू और केऊ कांदा से सौंदर्य उत्पाद और बेबी फूड बनाया जाता है और सिमलीकांदा से साबूदाना बनाया जाता है। तीखूर का विदेशों में निर्यात भी होता है।

बस्तर में आज भी कंदीय फसलों को कौड़ी के भाव खरीदकर उसे सौंदर्य उत्पाद बनाकर काफी महंगी कीमत वसूली जाती है। इस पर शोध भी किया गया है। पिछले साल केंद्रीय फसल शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने बस्तर में डेरा डाला था।

शोध संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आर.एस. मिश्रा और वैज्ञानिक डॉ. एम. नेंदूचेझियन ने स्वीकार किया कि बस्तर के नारायणपुर जिले सहित अन्य हिस्सों में तीखुर का उत्पादन होता है। देश के कुछ बड़े व्यापारी इसे खरीदते हैं और इसका सौंदर्य उत्पाद बनाने में उपयोग करते हैं। ये उत्पाद मुंबई तथा गुजरात बंदरगाहों के माध्यम से विदेश भी भेजा जाता है।

दरअसल, तीखुर (क्यूरक्यूमा अंजस्टिफोरा) देश में केवल छत्तीसगढ़, ओडिशा तथा बिहार में ही होता है। वहीं कुछ क्षेत्रों में जिमीकंद, कोचई, शकरकंद, मिश्रीकंद, सिमलीकंद, रसालू और केऊनकंदा भी मिलता है। इनमें स्टार्च अधिक होने के कारण सौंदर्य उत्पाद और बेबीफूड बनाए जाते हैं। यही नहीं, उद्योग में भी इनकी बहुत मांग है। इनसे मिलने वाले स्टार्च से दवाइयों यानी कैप्सूल का खोल तैयार किया जाता है। स्टार्च के पानी में घुलनशील होने के कारण इसका मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ता।

डॉ. मिश्रा ने यह भी बताया कि बस्तर से कई ट्रक सिमलीकांदा आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के पेद्दापुरम की फैक्ट्रियों में भेजा जाता है। वहां उससे साबूदाना बनाया जाता है।

उन्होंने बताया कि कंद में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट व कई पौष्टिक तत्व होते हैं, जिससे मानव शरीर को ऊर्जा मिलती है। जंगल में कंद-मूल आसानी से मिल जाते हैं। अब छत्तीसगढ़ सरकार भी बेहतर तरीके से इसके उत्पादन करने पर विचार कर रही है।

नेशनल

बाबा रामदेव की सोन पापड़ी भी टेस्ट में ‘फेल’, असिस्टेंट मैनेजर समेत 3 को 6 महीने की जेल

Published

on

Loading

नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई थी। अब पतंजलि कंपनी की सोन पापड़ी फूड टेस्‍ट में फेल गई है। मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्‍टेंट मैनेजर सहित तीन लोगों को छह महीने जेल की सजा सुना दी है। तीनों पर जुर्माना भी लगाया गया है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 59 के तहत सजा सुनाई गई है। असिस्टेंट मैनेजर को 50 हजार और अन्य 2 दोषियों को 10 और 25 हजार रुपये जुर्माना भरना होगा। मामले में शिकायतकर्ता की ओर से रितेश वर्मा ने पैरवी की।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 17 अक्टूबर 2019 को जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ बेरीनाग बाजार का दौरा किया था। इस दौरान बेरीनाग बाजार स्थित लीलाधर पाठक की दुकान में रेड मारी गई। जांच करते हुए रेड टीम ने पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए रुद्रपुर की लैंब में भेजा गया। साथ ही सप्लायर रामनगर कान्हा जी और पतंजलि को नोटिस जारी किए गए।

जांच में मिठाई की क्वालिटी घटिया मिली। सैंपल फेल हो गया और पुलिस ने एक्शन लेकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्टेंट जनरल मैनेजर अभिषेक कुमार, कान्हा जी डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड रामनगर के असिस्टेंट मैनेजर अजय जोशी, दुकानदार लीलाधर पाठक को गिरफ्तार कर लिया। तीनों के खिलाफ सुनवाई पूरी होने के बाद बीते दिन जेल और जुर्माने की सजा सुनाई गई।

Continue Reading

Trending