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मुसलमानों ने पेश की मिसाल, इस मस्जिद में केवल नमाज नहीं वेद और बाइबल भी पढ़ी जाती है

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नई दिल्ली। भारत में लगातार बढ़ती चली जा रही मॉब लिंचिंग देश के लिए एक बेहद गंभीर समस्या है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपको यकीन हो जाएगा कि आज भी देश में गंगा-जमुनी तहजीब लोगों के दिलों में बसती है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

हम बात कर रहे हैं असम की एक जामा मस्जिद की जहां नमाज ही नहीं बल्कि दूसरे धर्मों का भी बराबर सम्मान दिया जाता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असम की इस मस्जिद में बाकी धर्मों और उनकी किताबों को बराबर सम्मान दिया गया है।

इस मस्जिद की खासियत जानकर हर कोई सोशल मीडिया पर इसकी तारीफ कर रहा है। यह जामा मस्जिद असम के काचर जिले में है। मस्जिद के सेकेंड फ्लोर पर कई अलमारियां है जिसमें कई घर्मों के किताब एक साथ रखी गईं हैं।

यहां की लाइब्रेरी में कुरान, इस्लाम धर्म से जुड़ी किताबों के आलावा ईसाई दर्शन, वेद, उपनिषद, रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की बायोग्राफी और  रविंद्रनाथ टैगोर व सरत चंद्र चट्टोपाध्‍याय के उपन्‍यास भी मौजूद हैं।

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628 को उम्रकैद, 37 को दिलवाई फांसी, जानें कौन हैं मुंबई उत्तर मध्य सीट से बीजेपी उम्मीदवार उज्जवल निकम

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मुंबई| लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने शनिवार को 15वीं सूची जारी कर दी। इस सूची में उज्जवल निकम का नाम भी शामिल है। मशहूर वकील उज्जवल निकम को भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए मुंबई उत्तर मध्य सीट से प्रत्याशी बनाया है। इस सीट से पूनम महाजन का टिकट काट गया है।

बता दें कि पूनम महाजन मुंबई की नॉर्थ सेंट्रल सीट से बीजेपी की निवर्तमान सांसद है। बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी। इससे पहले 2014 में भी वह इसी सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं लेकिन इस बार पार्टी ने उनपर भरोसा न जताकर वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम को चुनावी मैदान में उतारा है।

बता दें कि उज्जवल निकल देश के जाने-माने वकील हैं उन्हीं ने मुंबई में 26/11 हमले को अंजाम देने वाले आतंकी आमिर कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया था। इस केस में वह विशेष लोक अभियोजक भी थे। इसके अलावा वह 1993 के बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन हत्याकांड जैसे हाई प्रोफाइल केसों में सरकारी की ओर से केस लड़ चुके हैं। उन्होंने अपने 30 साल लंबे करियर में 628 लोगों को आजीवन कारावास और 37 लोगों को मृत्युदंड की सजा दिलवाई।

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