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‘गांव बंद आंदोलन’ का दूसरा दिन, मंदसौर में 6 जून को किसानों को संबोधित करेंगे राहुल गांधी

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दस राज्यों के 130 किसान संगठन से जुड़े लाखों किसानों का देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ का आज दूसरा दिन है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक जून से 10 जून तक देशभर में आंदोलनरत किसानों के प्रति शनिवार को अपना समर्थन जताया है। साथ ही यह भी कहा कि
मध्यप्रदेश के मंदसौर में छह जून को किसानों की रैली को संबोधित करेंगे। पिछले वर्ष छह जून को पुलिस की गोलीबारी में सात किसानों की मौत हो गई थी।

शुक्रवार को शुरू हुए किसानों के 10 दिवसीय आंदोलन के एक दिन बाद राहुल ने ट्वीट किया कि वह देश में किसानों की समस्याओं को रेखांकित करने के लिए छह जून को मंदसौर में एक रैली को संबोधित करेंगे।

मध्य प्रदेश समेत देश के 10 राज्यों में एक जून से 10 जून तक किसानों का गांव बंद आंदोलन शुरू हो गया है। एक तरफ जहां देश के किसान संगठन इन 10 दिनों में गांवों से खाने-पीने की चीजों की आपूर्ति न करने पर अड़े हैं, वहीं सरकार ने इसे रोकने की कोशिशें भी तेज कर दी हैं। गांव बंद में एक जून से 10 जून तक किसान अपने उत्पादन, फल, सब्जी, दूध और अनाज समेत दूसरे उत्पाद शहर नहीं भजेंगे।

राहुल गांधी ने कहा, “हमारे देश में रोज करीब 35 किसान आत्महत्या करते हैं। खेती की समस्याओं की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए किसान 10 दिनों तक आंदोलन के लिए मजबूर हुए हैं।” उन्होंने कहा, “अपने अन्नदाता के अधिकारों की लड़ाई को समर्थन देने के लिए, मैं छह जून को मंदसौर में किसानों की रैली को संबोधित करूंगा।”

दस राज्यों में कई किसान संगठनों द्वारा 10 दिवसीय आंदोलन का आह्वान किए जाने पर कृषि प्रधान राज्यों पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के किसानों ने विरोध प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जिसके एक दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष का यह बयान आया है। विरोध स्वरूप किसानों ने दूध, फल-सब्जियां सड़कों पर फेंक दिए हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने बयान में कहा, “भारत के किसानों की 62 प्रतिशत आबादी द्वारा उठाए गए मुद्दे के प्रति मोदी सरकार के असंवेदनशील, उदासीन रवैये की वजह से हमारे अन्नदाताओं ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में हिस्सा लिया है।”

उन्होंने कहा, “किसानों द्वारा किया जा रहा प्रदर्शन सीधे नरेंद्र मोदी सरकार की ‘किसान विरोधी’ नीतियों का नतीजा है।” उन्होंने कहा, “मंदसौर गोलीकांड एक प्रतीक है, लेकिन पूरे भारत के किसान व्यापक ग्रामीण ऋण, गैर-लाभकारी कीमत और मोदी सरकार की उदासीनता के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।” उन्होंने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पर हताशा में विरोध प्रदर्शनों को दबाने का आरोप लगाया।

सुरजेवाला ने कहा, “राज्य सरकार ने प्रदर्शन से पहले किसानों को ‘पीस बांड’ भरने के लिए मजबूर किया। अब मध्यप्रदेश पुलिस ने प्रदर्शन से निपटने के लिए खासतौर से 17,000 नई लाठियां खरीदी हैं।”

उन्होंने कहा, “किसानों ने घोषणा की है कि वे शहरों की मंडियों में अपने उत्पादों को नहीं बेचेंगे। किसान प्रधानमंत्री मोदी के उस वादे को लागू करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें उन्होंनें स्वामीनाथन समिति की रपट लागू करने की बात कही थी, जिसमें लागत में 50 प्रतिशत जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण की सिफारिश की गई है। किसान पूर्ण कर्जमाफी की भी मांग कर रहे हैं।”

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने 10 जून को भारत बंद का ऐलान किया है। इस आंदोलन में देश भर के 130 किसान संगठन जुड़े हुए हैं। पिछले साल 6 जून को मंदसौर जिले में किसानों पर पुलिस जवानों द्वारा की गई फायरिंग और पिटाई में सात किसानों की मौत की पहली बरसी पर किसानों ने 10 दिवसीय आंदोलन शुरू किया है।

आम किसान यूनियन के प्रमुख केदार सिरोही ने बताया, “किसान एकजुट हैं, वे अपना विरोध जारी रखे हुए हैं। ‘गांव बंद’ आंदोलन का असर साफ नजर आ रहा है। सरकार की हर संभव कोशिश है, इस आंदोलन को असफल करने की, लेकिन किसान किसी भी सूरत में सरकार के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं।”

सिरोही ने आगे बताया कि बीते साल की तुलना में इस बार किसान खुद गांव से बाहर निकलकर अपना सामान बेचने जाने को तैयार नहीं है। वह सरकार की नीतियों से इतना परेशान है कि वह किसी भी तरह का आर्थिक नुकसान उठाने में नहीं हिचक रहा है। पुलिस जरूर किसानों को भड़काने व उकसाने में लगी है, ताकि हालात बिगड़ें।”

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह

सरकार द्वारा इस आंदोलन को कांग्रेस का बताकर प्रचारित किए जाने को लेकर भी किसानों में नाराजगी है। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा का कहना है कि सरकार किसानों की बात न करके आंदोलन को लेकर भ्रम फैलाने में लगी है। सवाल यह नहीं है कि यह आंदोलन किसका है, सवाल यह है कि किसानों की जायज मांगें सरकार क्यों नहीं मान रही है।

पटना में एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने देश में चल रहे किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देखिए मीडिया में आने के लिए कुछ अनोखा काम करना ही पड़ता है। राधा मोहन सिंह ने कहा कि देश में अभी 12-14 करोड़ किसान हैं। ऐसे में कुछ किसानों का प्रदर्शन मायने नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के हित में सबसे ज्यादा काम मध्यप्रदेश में ही किया जा रहा है। 

(इनपुट आईएएनएस)

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सीएम योगी का सपा पर निशाना, कहा- इनके शासनकाल में आतंकवादियों के मुकदमे वापस लिए जाते थे

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उन्नाव। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उन्नाव में एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस और सपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सपा-कांग्रेस का इतिहास प्रभु श्रीराम का विरोध करने वाला रहा है। कांग्रेस कहती थी कि प्रभु राम का अस्तित्व ही नहीं है। वहीं, दूसरी तरफ सपा कहती थी कि अयोध्या में एक भी परिंदा पर नहीं मार सकता है, यह इनका दोहरा चरित्र है। सपा के शासनकाल में आतंकवादियों के मुकदमे वापस लिए जाते थे।

सीम योगी ने कहा कि इन लोगों ने अयोध्या, रामपुर में सीआरपीएफ कैंप, काशी में संकटमोचन मंदिर, लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी की कचहरी पर हमला करने वाले आतंकियों के मुकदमे वापस लेने का प्रयास किया था। जिस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप इनके मुकदमे वापस लेने की बात कह रहे हैं और कल इन्हें पद्म पुरस्कार से नवाजेंगे।”

उन्होंने कहा कि अयोध्या में जहां एक ओर रामलला विराजमान हो गए हैं। वहीं, दूसरी ओर बड़े-बड़े माफिया की ‘राम नाम सत्य’ हो रही है। इंडिया गठबंधन पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि इनके मेनिफेस्टो में अल्पसंख्यकों को खाने-पीने की पूरी स्वतंत्रता देने की बात कही गई है। यह जनता को नहीं बता रहे हैं कि ऐसा कौन सा खान-पान है जो बहुसंख्यक समाज नापसंद करता है। बहुसंख्यक समाज गोमाता की पूजा करता है और वह गोकशी को बर्दाश्त नहीं कर सकता है।

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