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मनोरंजन

अपनी अनोखी पहचान को खोने मत दीजिए : नवाजुद्दीन

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मुंबई | बॉलीवुड की लीक से हटकर फिल्मों में सशक्त और अपारंपरिक किरदार निभाने के लिए पहचाने जाने वाले प्रतिभावान अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने नए कलाकारों को सलाह दी है कि अपनी अनोखी पहचान को खोने मत दीजिए।

नवाजुद्दीन ने पारंपरिक फिल्मी नायकों से बिल्कुल अलग छवि, शख्सियत और अभिनय के बल पर ही बॉलीवुड में अपने लिए जगह बनाई। हाल में निर्देशक श्रीराम राघवन की ‘बदलापुर’ में नजर आए नवाजुद्दीन का मानना है कि ज्यादातर लोगों को जब शोहरत का नशा चढ़ता है, तो वे हीरो जैसे चलताऊ ढर्रे में ढल जाते हैं, जिससे उनकी व्यक्तिगत पहचान खो जाती है। उन्होंने आईएएनएस को एक साक्षात्कार में बताया, “नए कलाकार अपने साथ एक अलग पहचान लेकर आते हैं, लेकिन बॉलीवुड में आ जाने के बाद उस पहचान को खो नहीं देना चाहिए। अक्सर यह होता है कि जब लोग बॉलीवुड में आ जाते हैं, तो एक ही जैसे हीरो वाले ढर्रे में ढल जाते हैं।”

उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं होना चाहिए। यह आपकी व्यक्तिगत पहचान को मिटा देता है। जब आप किसी किरदार को निभा रहे हैं, तो उसे अपने तरीके से निभाना चाहिए। यह बात महत्वपूर्ण है।” नवाजुद्दीन ने ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘कहानी’, ‘किक’, ‘द लंचबॉक्स’, ‘तलाश’ और ‘बदलापुर’ जैसी फिल्मों में अलग-अलग अंदाज में विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं। नवाजुद्दीन यह स्वीकार करते हैं कि नकारात्मक किरदार उन्हें ज्यादा आकर्षित करते हैं, क्योंकि उनमें जटिलता होती है और एक ही किरदार में कई परतें होती हैं। लेकिन नवाजुद्दीन को हास्य भूमिकाएं करना भी पसंद है।

आने वाली फिल्म ‘घूमकेतु’ में नवाजुद्दीन एक हास्य भूमिका में हैं और अपनी हास्य कलाकारी से दर्शकों को लोटपोट करते नजर आएंगे। उन्होंने कहा, “मुझे सीधी सादी भूमिकाएं करने में मजा नहीं आता, न ही साधारण खलनायिकी में। मुझे चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं पसंद हैं।”

प्रादेशिक

13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा

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मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले प‍िता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।

बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।

लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।

बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।

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