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लोकसभा में भूमि विधेयक पर चर्चा शुरू

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नई दिल्ली | लोकसभा में सोमवार को भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापना (संशोधन) विधेयक पर चर्चा शुरू हुई। भूमि अधिग्रहण कानून को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की मौजूदा सरकार ने एक अध्यादेश द्वारा लागू किया है। मौजूदा सरकार ने पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा 2013 में पारित कानून में संशोधन किए हैं।

नए कानून में राजग सरकार ने अधिग्रैहण के लिए भू-स्वामी की अनुमति और कुछ श्रेणियों के अंतर्गत उसकी सामाजिक आर्थिक स्थिति की आंकलन रपट संबंधी जरूरी प्रावधान को हटा दिया है। पुराने कानून से इन दोनों प्रावधानों को हटाने के कारण इस विधेयक का पूरे देश में विरोध हो रहा है। संसद के दोनों सदनों में भी इस विधेयक का विरोध हो रहा है। राजग सरकार ने बजट सत्र के पहले एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की थी, ताकि संसद में कामकाज सुचारु रूप से चल सके।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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