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मसरत की रिहाई पर रास में हंगामा, केंद्र ने दिया आश्वासन
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई के मुद्दे पर सोमवार को राज्यसभा में खूब हंगामा हुआ। सदस्यों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करार दिया। इस मुद्दे पर हंगामे के बीच राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेगी। हालांकि विपक्षी कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए सभापति के आसन के पास पहुंच गए। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित हुई।
शून्यकाल में मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने स्थगन प्रस्ताव पेश करते हुए मामले पर चर्चा की मांग की। लेकिन उपसभापति पी.जे. कुरियन ने स्थगन प्रस्ताव की अनुमति नहीं दी, हालांकि उन्होंने कुछ सदस्यों को इस मुद्दे पर अपनी बात रखने का अवसर दिया। शून्यकाल में मुद्दा उठाते हुए शर्मा ने कहा, “जम्मू एवं कश्मीर में अलगाववादियों को जेल से रिहा कर दिया गया और राज्य सरकार इसे बढ़ावा दे रही है।” बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने कहा, “यह कदम राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्ता के लोभ में अलगाववादियों से समझौता कर लिया है। उन्हें राष्ट्र कल्याण को सभी चीजों से ऊपर रखना चाहिए।”
जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव ने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि इस तरह का निर्णय आखिर कैसे लिया गया? तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया गया है। हम जानना चाहते हैं कि ऐसा क्यों किया गया। यह स्पष्ट है कि ऐसा तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ के कारण किया गया है। सरकार को इस पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।”
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता मीर मोहम्मद फैयाज ने हालांकि इस बीच सवाल उठाया कि कांग्रेस को उस वक्त कोई समस्या क्यों नहीं हुई जब यासीन मलिक को जम्मू एवं कश्मीर की पूर्ववर्ती पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने रिहा किया था। फैयाज ने कहा, “जम्मू एवं कश्मीर में जब पीडीपी-कांग्रेस की सरकार थी तो यासीन मलिक को रिहा किया गया था। उस वक्त कोई हंगामा नहीं हुआ था।” उन्होंने कहा, “जम्मू एवं कश्मीर के लोग शांति चाहते हैं। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र की पूर्ववर्ती राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल के दौरान भी कश्मीर के लोगों ने बड़ी संख्या में मतदान किया था, इस बार उन्होंने 70 प्रतिशत तक मतदान किया। क्या ये लोग राज्य में शांति नहीं चाहते?”
राज्यसभा सदस्यों की ओर से जताई गई चिंता के जवाब में जेटली ने सदन को आश्वस्त किया कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “कई सदस्यों ने अपनी चिंता जताई है। जहां तक हमारी सरकार की बात है, हमने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कभी समझौता नहीं किया।” उन्होंने कहा, “जहां तक मसरत आलम की रिहाई को लेकर जताई गई चिंता की बात है तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू एवं कश्मीर सरकार से रपट मांगी है। कुछ शुरुआती सूचनाएं मिली हैं।”
कांग्रेस के सदस्यों ने हालांकि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बयान दिए जाने की मांग की। अपनी मांग के समर्थन में नारेबाजी करते हुए वे सभापति की आसंदी के करीब पहुंच गए। हंगामे के कारण उपसभापति कुरियन ने सदन की कार्यवाही सुबह करीब 11.42 बजे दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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सीएम योगी का सपा पर निशाना, कहा- इनके शासनकाल में आतंकवादियों के मुकदमे वापस लिए जाते थे
उन्नाव। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उन्नाव में एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस और सपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सपा-कांग्रेस का इतिहास प्रभु श्रीराम का विरोध करने वाला रहा है। कांग्रेस कहती थी कि प्रभु राम का अस्तित्व ही नहीं है। वहीं, दूसरी तरफ सपा कहती थी कि अयोध्या में एक भी परिंदा पर नहीं मार सकता है, यह इनका दोहरा चरित्र है। सपा के शासनकाल में आतंकवादियों के मुकदमे वापस लिए जाते थे।
सीम योगी ने कहा कि इन लोगों ने अयोध्या, रामपुर में सीआरपीएफ कैंप, काशी में संकटमोचन मंदिर, लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी की कचहरी पर हमला करने वाले आतंकियों के मुकदमे वापस लेने का प्रयास किया था। जिस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप इनके मुकदमे वापस लेने की बात कह रहे हैं और कल इन्हें पद्म पुरस्कार से नवाजेंगे।”
उन्होंने कहा कि अयोध्या में जहां एक ओर रामलला विराजमान हो गए हैं। वहीं, दूसरी ओर बड़े-बड़े माफिया की ‘राम नाम सत्य’ हो रही है। इंडिया गठबंधन पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि इनके मेनिफेस्टो में अल्पसंख्यकों को खाने-पीने की पूरी स्वतंत्रता देने की बात कही गई है। यह जनता को नहीं बता रहे हैं कि ऐसा कौन सा खान-पान है जो बहुसंख्यक समाज नापसंद करता है। बहुसंख्यक समाज गोमाता की पूजा करता है और वह गोकशी को बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
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