Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

…तो इस वजह से बाबा साहेब ने त्याग दिया था हिन्दू धर्म!

Published

on

Loading

कबीरपंथी परिवार में जन्मे डॉ. भीमराव अंबेडकर यानी बाबा साहेब अपनी 127वीं जयंती के मौके पर भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितना संविधान के निर्माण के बाद और दलितों के संघर्ष के दौरान थे। दलितों और पिछड़ों को वोट बैंक समझने वाले सभी दल आज अंबेडकर को अपना मार्गदर्शक और प्रेरणा पुंज कहते नहीं अघाते हैं।

अंबेडकर के नाम पर कसमें खाई जाती हैं, आंदोलन किए जाते हैं और यह संदेश देने की पुरजोर कोशिशें की जाती हैं कि दलितों का सबसे बड़ा सिपहसालार कौन है। लेकिन यह भी हकीकत है कि राजनीति के मौजूदा बदले हुए तेवर में अगर वाकई कोई पीछे छूटता जा रहा है तो वह है सिर्फ और सिर्फ भीमराव अंबेडकर।

विलक्षण प्रतिभा के धनी भीमराव बेहद निर्भीक थे। वे न चुनौतियों से डरते थे, न झुकते थे। लड़ाकू और हठी अंबेडकर ने अन्याय के आगे झुकना तो जैसे सीखा ही न था। 14 अप्रैल, 1891 को तत्कालीन ब्रिटिश भारत के केंद्रीय प्रांत (मध्य प्रदेश) के इंदौर के पास महू नगर की छावनी में एक महार परिवार में माता-पिता की 14वीं संतान के रूप में जन्मे भीमराव के पिता की मृत्यु बालपन में ही हो गई थी। 1897 में बॉम्बे के एलफिन्सटोन हाईस्कूल में पहले अस्पृश्य के रूप में दाखिला लेकर 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। पढ़ाई के दौरान ही 15 साल की उम्र में 1906 में 9 साल की रमाबाई से इनकी शादी हुई।

दलितों के साथ भेदभाव के कारण त्यागा हिन्दू धर्म

अंबेडकर ने अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र में डिग्री हासिल की। हिंदू धर्म में दलितों के साथ होने वाले भेदभाव और छुआछूत से दुखी होकर उन्होंने इसके खिलाफ संघर्ष भी किया, लेकिन विशेष सफलता न मिलने पर इस धर्म को ही त्याग दिया। 14 अक्टूबर, 1956 को उन्होंने लाखों दलितों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। यह क्रम निरंतर जारी है।

कहा जाता है कि दलित मुद्दों पर अंबेडकर के गांधीजी से मतभेद रहे हैं। पत्रिका ‘हरिजन’ के 18 जुलाई, 1936 के अंक में अंबेडकर के ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ की समीक्षा में गांधीजी ने जोर दिया था कि हर किसी को अपना पैतृक पेशा जरूर मानना चाहिए, जिससे अधिकार ही नहीं, कर्तव्यों का भी बोध हो। यह सच्चाई है कि ब्रिटिश शासन के डेढ़ सौ वर्षों में भी अछूतों पर होने वाले जुल्म में कोई कमी नहीं आई थी, जिससे अंबेडकर आहत थे।

जब झुक गई ब्रिटिश सरकार
लेकिन धुन के पक्के अंबेडकर ने गोलमेज कॉन्फ्रेंस में जो तर्क रखे, वो इतने ठोस और अधिकारपूर्ण थे कि ब्रिटिश सरकार तक को उनके सामने झुकना पड़ा और 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्जे मैक्डोनल्ड ने अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व के लिए एक तात्कालिक योजना की घोषणा की जिसे कम्युनल अवार्ड के नाम से जाना गया। इस अवार्ड में अछूत कहे जाने वाले समाज को दोहरा अधिकार मिला। पहला यह कि वे सुनिश्चित सीटों की आरक्षित व्यवस्था में अलग चुनकर जाएंगे और दूसरे में दो वोटों का अधिकार मिला। एक वोट आरक्षित सीट के लिए और दूसरा वोट अनारक्षित सीट के लिए। इसके बाद बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का कद समाज में काफी ऊंचा हो गया।

उनकी अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग का गांधीजी ने पुरजोर विरोध कर एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। उनकी दलील थी कि इससे हिंदू समाज बिखर जाएगा, लेकिन जब अंबेडकर जीत गए तो गांधीजी ने पूना पैक्ट (समझौता) पर दस्तखत के लिए उन्हें मजबूर कर दिया और आमरण अनशन पर चले गए।

गांधी जी से हुआ समझौता
गांधीजी की बिगड़ती तबीयत और उससे बढ़ते दबाव के चलते अंबेडकर 24 सितंबर, 1932 की शाम येरवदा जेल पहुंचे, जहां पर दोनों के बीच समझौता हुआ। इसे पूना पैक्ट के नाम से जाना जाता है। समझौते के तहत डॉ. अंबेडकर ने दलितों को कम्युनल अवार्ड में मिले पृथक निर्वाचन के अधिकार को छोडऩे की घोषणा की, लेकिन इसी में 78 आरक्षित सीटों को बढ़ाकर 148 करवाया। साथ ही अस्पृश्य लोगों के लिए हर प्रांत में शिक्षा अनुदान के लिए पर्याप्त रकम की व्यवस्था के साथ नौकरियों में बिना किसी भेदभाव के दलित वर्ग के लोगों की भर्ती को सुनिश्चित कराया।

उन्हें हालांकि इसके क्रियान्वयन की चिंता थी, तभी तो 25 सितंबर 1932 को बंबई में सवर्ण हिंदुओं की बहुत बड़ी सभा में अंबेडकर ने कहा, “हमारी एक ही चिंता है, क्या हिंदुओं की भावी पीढय़िां इस समझौते का अनुपालन करेंगी?” इस पर सभी सवर्ण हिंदुओं ने एक स्वर में कहा था कि करेंगे।

डॉ. अंबेडकर ने यह भी कहा था, “हम देखते हैं कि दुर्भाग्यवश हिंदू संप्रदाय एक संघटित समूह नहीं है, बल्कि विभिन्न संप्रदायों का फेडरेशन है। मैं आशा और विश्वास करता हूं कि आप अपनी तरफ से इस अभिलेख को पवित्र मानेंगे तथा सम्मानजनक भावना से काम करेंगे।”

लेकिन आज जो हो रहा है, क्या इसी भाव से हो रहा है? कहीं अंबेडकर के नाम पर जोड़-तोड़ की कोशिशें तो कहीं इस कोशिश पर ऐतराज की नई राजनीति शुरू हो गई है। यह सच है कि दलितों के शोषण और अत्याचार का एक सदियों पुराना और लंबा सिलसिला है जो अब भी किसी न किसी रूप में बरकरार है।

गुलाम भारत में अंबेडकर के राजनीतिक और सामाजिक संघर्ष ने दलितों को जहां राह दिखाई, वहीं आजाद भारत में दलितों के सम्मानजनक स्थान के लिए मार्ग भी प्रशस्त किया। लेकिन लगता नहीं कि आत्मसम्मान और गरिमा की लड़ाई में दलित समुदाय अब भी अकेला है। अंबेडकर का उपयोग सभी दल करना चाहते हैं।

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि स्कूल में पढ़ते समय भीम की प्रतिभा और लगन को देखकर महादेव अंबेडकर नामक ब्राह्मण अध्यापक अपने बेहद प्रिय इस छात्र को दोपहर की छुट्टी के समय अपने भोजन से चावल, दाल, रोटी देते थे। यह अत्यधिक स्नेह ही था जो भीमराव का उपनाम सकपाल घराने के अंबेवाडी गांव के चलते अंबेवाडेकर से बदलकर अपना ब्राह्मण उपनाम अंबेडकर कर दिया, बल्कि स्कूल के रजिस्टर तक में बदल डाला। इस तरह दलित भीम के नाम के साथ ब्राह्मण अंबेडकर का नाम सदैव के लिए जुड़ गया, लेकिन राजनीति की फितरत देखिए कि भीमराव अंबेडकर के नाम पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है, जबकि उनका स्थान शुरू से ही राजनीति से कहीं ऊपर था, है और रहेगा।

नेशनल

सपा और कांग्रेस के शहजादे दिन में सपना देख रहे, जनता 4 जून को इन्हे नींद से जगा देगी: पीएम मोदी

Published

on

Loading

बस्ती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने उत्तर प्रदेश के बस्ती पहुंचे। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज आपका ये उत्साह, ये जनसैलाब, ये आशीर्वाद, बस्ती, सिद्धार्थनगर और डुमरियागंज, इस क्षेत्र ने हमेशा मुझ पर, भाजपा पर भरोसा किया है। हमारे काम पर भरोसा किया है। हमारी बात, हमारे वादों, हमारे इरादों पर भरोसा किया है, इसलिए मैं आपके इस भरोसे पर खरा उतरने में ना पहले कोई कमी छोड़ी है, ना आगे कोई कमी छोड़ूंगा। ये मोदी की गारंटी है। मैं पहले भी इसी मैदान में आपके बीच आ चुका हूं, लेकिन आज जो सभा में देख रहा हूं, इससे पहले ऐसा दृश्य देखने का सौभाग्य नहीं मिला था।

इस दौरान पीएम मोदी ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा, सपा और कांग्रेस के शहजादे की फिल्म के रिलीज से मैं नराज हूं। सपा और कांग्रेस के शहजादे अफवाह उड़ा रहे हैं कि वे 79 सीट जीतेंगे। ये लोग दिन में सपना देख रहे हैं। पीएम मोदी ने रहा, 4 जून को यूपी की जनता इन्हें नींद से जगा देगी। इसके बाद ये लोग हार ठीकरा ईवीएम पर फोड़ेंगे। पीएम ने रैली में राम मंदिर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, इंडिया गठबंधन को राम मंदिर से परेशानी है। सपा वाले राम मंदिर को बेकार बताते हैं। राम मंदिर जाने वालों को पाखंडी कहते हैं। ये लोग सनातन धर्म के विनाश करने की बात करते हैं। कांग्रेस के शहजादे तो राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटना चाहते हैं। ये राम मंदिर पर बाबरी ताला लगाने का सपना देख रहे हैं। ये रामलला को फिर से टेंट में भेजना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “देश में पांच चरण के चुनाव हो चुके हैं। इन पांच चरणों ने ही देश में तीसरी बार मोदी सरकार पक्की कर दी है। आप इंडी अलायंस का बयान देख लीजिए। हर कोई अलग-अलग आंकड़े बताते हैं। पूरा इंडी अलायंस ऐसा निराशा के गर्त में डूबा है कि इनको ये भी याद नहीं रहता कि वो दो दिन पहले क्या बोला था और आज क्या बोल रहे हैं। आप समझदार लोग हैं कभी भी अपना समय और अपनी शक्ति व्यर्थ नहीं जाने देते। अब आप सोचिए सपा को मिलने वाला एक भी वोट, कांग्रेस को पड़ने वाला वोट किसी काम का है क्या? आपका वोट बेकार हो जाए, बर्बाद हो जाए, यहां का कोई मतदादा चाहेगा क्या? इसलिए आपका वोट उसको पड़ना चाहिए, जिसकी सरकार बनने की गारंटी है।”

उन्होंने कहा, “कभा भी पुण्य कार्य मिलता हो, तो मौका गंवाना चाहिए क्या? अगर आप वोट नहीं डालेंगे तो पुण्य मिलेगा क्या? आज 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलता है, तो वो आशीर्वाद देते हैं। मैं इतने काम करने वाला हूं, हर काम से पुण्य मिलने वाला है, इसलिए वोट दीजिए विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए। 22 जनवरी 2024…इस देश में बहुत लोग जिन्हें अपने बेटे का जन्मदिन याद नहीं, लेकिन इस देश के बच्चे-बच्चे को 22 जनवरी 2024 पता है। मैं 22 जनवरी बोलता हूं और देश बोल उठता है जय श्री राम। अयोध्या में उस ऐतिहासित दिन पर मैंने कहा था कि राम से राष्ट्र, विरासत से विकास, अध्यात्म से आधुनिकता, आज देश इसी मंत्र पर आगे बढ़ रहा है।”

पीएम मोदी ने कहा, पाकिस्तान के हमदर्द सपा और कांग्रेस वाले अब भारत को डरा रहे हैं। ये कहते हैं कि पाकिस्तान से डरो उसके पास एटम बम है। साथियों पाकिस्तान तो पस्त पड़ गया है। उसे अनाज के भी लाले पड़ गए। क्यों डरे भारत? आज भारत में कांग्रेस की कमजोर सरकार नहीं है, मोदी की मजबूत सरकार है। भारत आज घर में घुसकर मारता है। आज भारत वैश्विक मंच पर जो बोलता है, पूरी दुनिया उसे सुनती है। पीएम मोदी ने कहा, कांग्रेस अति पिछड़ा विरोधी है। सीताराम केसरी को रातोंरात बाथरूम में फेंककर सोनिया गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया था।

Continue Reading

Trending