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प्रादेशिक

मुरली मनोहर जोशी ने किया ऐसा उद्घाटन, फटी रह गईं सबकी आंखें

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कानपुर। वरिष्ठ भाजपा नेता और कानपुर से सांसद मुरली मनोहर जोशी गुरुवार को एक सोलर पैनल के उद्घाटन के दौरान अव्यवस्थाओं को देखकर भडक़ उठे। फीता काटने के लिए कैंची न मिलने से भडक़े सांसद ने अधिकारियों को जमकर खरीखोटी सुनाई। इतना ही नहीं उन्होंने रिबन को हाथ से ही तोडक़र एक झटके में उद्घाटन कर दिया।

गुरुवार को कानपुर के कलेक्ट्रेट में सोलर लाइट का लोकार्पण करने के लिए सांसद मुरली मनोहर जोशी पहुंचे। लेकिन वहां पर फीता काटने के लिए कैंची ही नहीं थी। अधिकारियों के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये को देखकर सांसद आगबबूला हो गए। उन्होंने फीते को अपने हाथों से उखाड़ फेंका।

उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों से पूछा, “कौन है यहां का प्रबंधक, आपने मुझे यहां पर बुलाया है न।” उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अब कैंची की जरूरत नहीं है, ऐसे ही मैंने उद्घाटन कर दिया। गुस्साए मुरली मनोहर जोशी ने एक अधिकारी को बदतमीज तक कह दिया।

सांसद महोदय के गुस्से को देखकर मौके पर उपस्थित डीएम सुरेंद्र सिंह ने दुबारा रिबन को लगाकर उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। उन्होंने कहा कि अब उद्घाटन हो गया है। इतना कहकर सांसद वहां से चले गए।

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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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