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ऑफ़बीट

FLIPKART से मंगाया था 55000 हजार का i-PHONE, पैकेट खुला तो हैरान रह गए सब

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नई दिल्ली। अगर आप भी ऑनलाइन सामान खरीदना पसंद करते हैं तो इस खबर को पढ़ने के बाद अब आप ऑनलाइन कोई भी सामान खरीदने से पहले सौ बार सोचेंगे। दरअसल मुंबई में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने फ्लिपकार्ट से 55000 हजार रु का भुगतान करके आईफोन का आर्डर दिया था। 22 जनवरी को नवी मुंबई के पास पनवेल में उसके घर पर एक पैकेट डिलिवर किया गया जिसमें से मोबाइल फोन की जगह एक डिटर्जेंट बार निकला।

इस घटना के बाद वह मध्य मुंबई के बायकुला पुलिस स्टेशन में गया और फ्लिपकार्ट के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया। शिकायतकर्ता तबरेज मेहबूब नगराली ने कहा कि उसने इसके शॉपिंग वेबसाइट फ्लिपकार्ट पर आईफोन-8 का ऑर्डर किया था और इसके लिये उसने पूरे 55,000 रुपये का भुगतान किया था।

उसने आरोप लगाया कि 22 जनवरी को नवी मुंबई के पास पनवेल में उसके घर पर एक पैकेट डिलिवर किया गया जिसमें से मोबाइल फोन की जगह एक डिटर्जेंट बार निकला। पुलिस ने बताया कि नगराली ने शिकायत दर्ज करायी और फ्लिपकार्ट के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। उधर फ्लिपकार्ट भी इस घटना की जांच कर रही है।

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उत्तर प्रदेश

अब एडवांस एमआरआई से ही स्लीप एपनिया का चलेगा पता

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लखनऊ 15 जून: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार नवाचार और शोध पर जोर दे रहे हैं ताकि आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर प्रदेशवासियों को इसका लाभ दिया जा सके। इसी क्रम में सीबीएमआर शोधकर्ता और एसजीपीजीआई के प्रोफेसर ने एमआरआई तकनीक के जरिये स्लीप एपनिया (नींद के दौरान होने वाली समस्याएं) के एडवांस स्टेज का पता लगाने के लिए एक शोध किया, जो सफल रहा। इससे शोध से अब एडवांस एमआरआई से स्लीप एपनिया के एडवांस स्टेज का पता लगाया जा सकेगा। इसके जरिये मरीज का सही दिशा और सटीक इलाज हो सकेगा।

शोध में सिर की सूक्ष्म संरचना पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया

सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के शोधकर्ता डॉ. अहमद रजा खान ने एसजीपीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर जिया हाशिम और रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रोफेसर जफर नियाज के सहयोग से किए गए अध्ययन में एमआरआई तकनीक के जरिए ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) के मस्तिष्क की सूक्ष्म संरचना पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया है। इस तकनीक से कुछ माइक्रोन से लेकर 20-30 माइक्रोन तक के ऊतक परिवर्तनों की जांच की जा सकती है, जो पारंपरिक एमआरआई माप से 100 से 1000 गुना अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। डॉ. अहमद ने बताया कि डिफ्यूजन एमआरआई ऊतकों में पानी के अणुओं के प्रसार को मापता है, जिससे ऊतक सूक्ष्म संरचना के बारे में जानकारी मिलती है। डिफ्यूजन एमआरआई में प्रगति, जैसे कि डिफ्यूजन कर्टोसिस इमेजिंग (डीकेआई), जटिल ऊतक वातावरण में गैर-गौसियन जल प्रसार व्यवहार की जांच करती है। बायोफिजिकल मॉडलिंग का उपयोग करते हुए, डीकेआई पैरामीटर एक्सोनल जल अंश जैसे श्वेत-पैरामीटर प्रदान कर सकते हैं। एक्सोन न्यूरॉन्स के ट्रंक हैं। इसलिए, ऐसी जानकारी (एक्सोनल जल अंश), मस्तिष्क में सेलुलर स्तर की न्यूरोनल संरचना को दर्शाती है।

चिकित्सीय रणनीति के विकास में होगा बड़ा योगदान

एसजीपीजीआई के प्रोफेसर ने बताया कि एमआरआई से ऐसी सेलुलर जानकारी (एक्सोनल जल अंश) की जांच करके, शोधकर्ता न्यूरोनल संरचना की अखंडता और रोग प्रबंधन के विभिन्न समय पर ओएसए से जुड़े संभावित परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अध्ययन के निष्कर्ष ओएसए वाले व्यक्तियों में देखी गई संज्ञानात्मक हानि और अन्य न्यूरोलॉजिकल परिणामों के अंतर्निहित न्यूरोबायोलॉजिकल तंत्र पर प्रकाश डालते हैं। इन तंत्रों को समझना ओएसए से संबंधित जटिलताओं के प्रबंधन के लिए बेहतर नैदानिक ​​और चिकित्सीय रणनीतियों के विकास में योगदान दे सकता है।

यह स्लीप एपनिया

स्लीप एपनिया एक व्यापक स्थिति है, जो सोते समय व्यक्ति की सांस को बाधित करती है। इसके कारण व्यक्ति केवल सांस लेने के लिए जागता है, जिससे उसकी नींद बाधित होती है और उसे आराम महसूस नहीं होता। समय के साथ, स्लीप एपनिया गंभीर या यहां तक ​​कि घातक जटिलताओं को जन्म दे सकता है, इसलिए शीघ्र निदान और उपचार महत्वपूर्ण है।

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