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राजनीतिक क्षेत्र में सरनेम ‘गांधी’ से मिले हैं बड़े फायदे: वरुण गांधी
नई दिल्ली। भाजपा सांसद व इंदिरा गांधी परिवार से आने वाले फायर ब्रान्ड वरुण गांधी ने एक बार फिर परिवारवाद पर सवाल करते हुए कहा है कि उन्हें उनके सरनेम ‘गांधी’ का राजनीति में काफी फायदा मिला है।
उन्होंने कहा कि उनके सरनेम के चलते ही वो 29 साल कि उम्र में सासंद बन सके। वरुण ने कहा कि मैं ऐसा भारत चाहता हूं जहां सरनेम का महत्व न हो बल्कि सभी को बराबर मौका मिले।
यूपी के सुल्तानपुर से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अपने ‘गांधी’ सरनेम का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं फिरोज वरुण गांधी हूं। अगर मेरा सरनेम गांधी नहीं होता तो क्या मैं 29 वर्ष की उम्र में सांसद बन पाता? मैं ऐसा भारत देखना चाहता हूं जहां इससे फर्क न पड़ता हो कि मैं वरुण गांधी, वरुण दत्त या वरुण खान हूं। वहां सभी को बराबर मौका मिले।’
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार है कि जब वरुण अपने सरनेम गांधी को लेकर बयान दे रहे हों इससे पहले यूपी में 2012 के निकाय चुनावों के दौरान भी उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा था कि मैं अगर आज सांसद हूं तो इसलिए कि गांधी परिवार से आता हूं। अगर दूसरे परिवार से आता तो शायद मैं भी दूसरे युवाओं की तरह पोस्टर पर चिपका रहता शायद ऐसा अवसर नहीं मिलता।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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