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अन्तर्राष्ट्रीय

इंग्लैंड के अस्पतालों में ‘सुपर साइज’ चॉकलेट बार पर लगेगी रोक

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लंदन, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)| इंग्लैंड की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएं (एनएचएस) ने मोटापे की बढ़ती महामारी को रोकने के लिए अस्पताल की दुकानों, कैंटिन और वेंडिंग मशीन पर ‘सुपर साइज’ के चॉकलेट बार पर प्रतिबंध लगाएगी। मीडिया को यह जानकारी सोमवार को दी गई। स्वास्थ्य निकाय के हवाले से बीबीसी ने कहा कि अस्पतालों में बिकने वाली मिठाई और चॉकलेट 250 कैलोरी या फिर उससे कम की होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पहले से पैक चटपटे खाने और सैंडविच में वसा की मात्रा प्रत्येक 100 ग्राम पर 5 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।

एनएचएस कर्मचारियों को भी अस्वास्थ्यकर भोजन से निपटने के लिए कदम के हिस्से के रूप में लक्षित किया जा रहा है, जिसमें रात के समय ड्यूटी में लगे लोग शामिल हैं।

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड का कहना है कि मोटापे को नियंत्रित करने में अस्पतालों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है न कि नतीजों से निपटने में।

एनएचएस इंग्लैंड ने अप्रैल में कहा था कि अगर अस्पताल की दुकानें शर्करा वाले पेय की बिक्री का परिमाण नहीं घटाती है, तो वह इस पर प्रतिबंध लगा देगी।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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