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मनोरंजन

सिनेमा के लिए इससे बेहतर जीत नहीं हो सकती : विशाल भारद्वाज

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मुंबई, 13 अक्टूबर (आईएएनएस) फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने कहा कि ‘तलवार’ आरुषि तलवार हत्या मामले और इसके विभिन्न जांच सिद्धांतों को एक बार फिर से प्रकाश में लाई थी। इस मामले में आरुषि के माता-पिता को अदालत द्वारा बरी कर देने पर फिल्म निर्माता का कहना है कि यह सिनेमा की जीत है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को अपने फैसले में राजेश व नुपुर तलवार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

यह पूछने पर कि क्या फिल्म ने दर्शकों के बीच किसी भी तरह की जागरुकता पैदा की, भारद्वाज ने कहा, मुझे लगता है कि हमारी फिल्म के कारण यह मामला कुछ समय के लिए प्रसिद्ध हो गया क्योंकि छिपी हुई चीजें भी हमारी फिल्म के जरिए लोगों के बीच पहुंची। कई पहलू हैं जो संदिग्ध थे और हमारी फिल्म में हमने तटस्थ का रुख अख्तियार किया और हमने किसी का पक्ष नहीं लिया।

उन्होंने कहा, हमने फिल्म में दिखाया कि जांच में क्या हुआ और दिल्ली पुलिस और सीबीआई दोनों एजेंसियों ने क्या कार्रवाई की थी, जिससे चीजें बहुत स्पष्ट हो गईं थीं।

भारद्वाज यहां जियो मामी के 19 वें मुंबई फिल्म महोत्सव के उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे, जिसमें अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा भी शामिल हुईं।

कोंकणा ने कहा, यह खबर शानदार है। यह वास्तव में शर्म की बात है कि उन्हें आजाद होने के लिए नौ साल लग गए। यह भी दुखद है कि हम अब भी नहीं जानते कि हेमराज (नौकर) और आरुषि के हत्यारे कौन हैं, लेकिन मैं तलवार दंपति के लिए बहुत खुश हूं।

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प्रादेशिक

13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा

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मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले प‍िता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।

बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।

लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।

बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।

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