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अन्तर्राष्ट्रीय

टिलरसन ने इस्तीफे की खबर खारिज की

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वाशिंगटन, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)| अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मतभेद की खबरों के बीच, टिलरसन ने इन अफवाहों का खंडन करते हुए कहा है कि उनका अपने पद से इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है और वह ट्रंप की विदेश नीति के लक्ष्यों को हासिल करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

टिलरसन का यह बयान एनबीसी न्यूज की उस खबर के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि टिलरसन ने राष्ट्रपति को ‘मूर्ख’ करार देने के बाद अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला कर लिया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कथित टिप्पणी को खारिज किए बिना कहा, मैं ऐसे तुच्छ विषयों पर कुछ नहीं कहना चाहता।

एनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने उन्हें राष्ट्रपति के साथ मतभेद दूर करने के कदम तलाशने की सलाह दी है, जिसे टिलरसन ने खारिज किया है।

उन्होंने कहा, उप राष्ट्रपति को कभी भी मुझे विदेश मंत्री के पद पर बने रहने के लिए राजी नहीं करना पड़ा क्योंकि मैंने कभी इस पद को छोड़ने के बारे में नहीं सोचा।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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