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बिहार विधानसभा में सृजन घोटाले को लेकर हंगामा
पटना, 22 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार विधानमंडल के दोनों सदन विधानसभा और विधानपरिषद में सृजन घोटाला मामले को लेकर मंगलवार को विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया।
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को कार्यवाही शुरू होने के साथ ही सृजन घोटाले को लेकर विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में उतर गए और हंगामा करने लगे। पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सदन में सृजन घोटाले का मामला उठाते हुए कार्यस्थगन का प्रस्ताव रखा और मांग की कि सरकार कार्यस्थगन प्रस्ताव लाकर इस पर बहस करे।
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि इस मामले पर अलग से समय लेकर विपक्ष इस पर बात करे। इस बीच विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। अध्यक्ष ने कई बार सदस्यों से अपनी सीट पर जाने का आग्रह किया, लेकिन सदन में हंगामा जारी रहा।
इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। यही हाल विधानपरिषद में भी देखने को मिला।
उल्लेखनीय है कि मानसून सत्र के पहले दिन भी में सृजन घोटाला को लेकर दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हुआ था। विपक्ष इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के इस्तीफे की मांग कर रहा है।
राज्य सरकार ने सृजन घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की अनुशंसा की है।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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