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मप्र : 44 नगर निकायों के चुनाव में 66 फीसदी मतदान

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भोपाल, 11 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में शुक्रवार को 44 नगर निकायों के अध्यक्ष और पार्षद पद के लिए मतदान मतदान हुआ।

इन स्थानों पर कुल मिलाकर 66 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान शांतिपूर्वक हुआ, कहीं से भी गड़बड़ी की कोई शिकायत नहीं आई है। वहीं अलीरापुर में नगर पालिका अध्यक्ष पद की कांग्रेस उम्मीदवार के देवर व अन्य चार लोगों को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया।

राज्य निर्वाचन आयुक्त कार्यालय के अनुसार, सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया, मतदान को लेकर लोगों में उत्साह है। दोपहर एक बजे तक 36 प्रतिशत से अधिक मतदाता मतदान कर चुके थे। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

राज्य निर्वाचन आयुक्त कार्यालय के मुताबिक, शाम पांच बजे तक 66 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। राज्य के किसी भी हिस्से से विवाद और मारपीट की खबर सामने नहीं आई है।

अलीराजपुर जिले में कोतवाली पुलिस ने नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष पद की कांग्रेस उम्मीदवार सेना महेश पटेल के देवर दिलीप सिंह सहित पांच लोगों को पिस्टल व अन्य हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया है।

थाना प्रभारी दिनेश सोलंकी के मुताबिक, मुखबिर की सूचना पर स्कार्पियो गाड़ी में सवार पांच लोगों को गुरुवार की देर रात को गिरफ्तार किया गया है। आशंका है कि ये लोग मतदाताओं को धमकाने के प्रयास में थे।

राज्य निर्वाचन आयुक्त आर परशुराम के मुताबिक, मतदान सुबह सात बजे शुरू हो गया, जो शाम पांच बजे तक चला। मतदान केंद्रों में सुरक्षा के इंतजाम के साथ मतदाताओं के लिए वाटरप्रूफ टेंट लगवाए गए। इसके साथ ही विभिन्न नगर निकाय में पार्षदों के उपचुनाव के लिए भी मतदान हुआ।

परशुराम ने बताया कि 44 नगर निकायों में अध्यक्ष पद के लिए 206 और पार्षद पद के लिए 2,133 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। जहां चुनाव हो रहे हैं, उनमें से नगरपालिका परिषद 18 और नगर परिषद 26 हैं।

राज्य निर्वाचन आयुक्त के मुताबिक, इन 44 नगर निकाय में कुल 8,51,732 मतदाता हैं, इनमें से 4,39,607 पुरुष, 4,12,061 महिलाएं और 64 अन्य मतदाता हैं। वार्डो की संख्या 780 और मतदान केंद्रों की संख्या 1,159 है। इस तरह प्रति मतदान केंद्र में औसतन 735 मतदाता हैं।

राज्य में 5,631 पंच, 74 सरपंच, 14 जनपद पंचायत सदस्य, तीन जिला पंचायत सदस्य के लिए भी वोट डाले गए। सभी की मतगणना 16 अगस्त को होगी।

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नेशनल

लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।

एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।

हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।

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