हेल्थ
संतान सुख दिलाने में मददगार बन रही तकनीक
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)| महिलाओं में करियर पर जोर, ज्यादा उम्र में शादी और शादी के बाद नौकरी की व्यस्तताओं के कारण देर से गर्भधारण आम बात हो गई है। पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं की औसत उम्र भी बढ़ रही है, लेकिन इस बीच ध्यान रखने वाली बात यह है कि बढ़ती उम्र के साथ-साथ गर्भधारण की संभावनाएं भी कम होती जाती हैं। ऐसे में तकनीक महिलाओं को संतान-सुख दिलाने में मददगार साबित होती है।
फोर्टिस हॉस्पिटल्स में सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. मनीषा सिंह ने कहती हैं, अगर हम कहें कि तकनीक एक दोहरी तलवार है तो गलत नहीं होगा। एक ओर मोबाइल फोन, कंप्यूटर व अन्य उपकरण हैं, जिनके रेडियोफ्रीक्वेंसी विकिरण के उत्सर्जन से स्वास्थ्य व प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है और यह डीएनए स्तर पर माइक्रसेलुलर क्षति का भी कारण होता है, तो वहीं दूसरी ओर असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेकनीक (एआरटी) यानी सहायक प्रजनन तकनीक ने दुनियाभर के लाखों जोड़ों को संतान-सुख हासिल करने में सक्षम बनाया है।
उन्होंने कहा, हमारी जान-पहचान में कम से कम एक व्यक्ति ऐसा होता ही है, जिसने गर्भधारण में तकनीक की मदद ली होती है। यह अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि कैसे तकनीक लगातार उन्नत हो रही है।
पठानकोट स्थित अमनदीप हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि सम्मी ने कहा, अधिक उम्र के अलावा जीवनशैली संबंधी बदलाव और हार्मोन का अंसतुलन भी गर्भधारण में कठिनाइयां पैदा करने का कारण होता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को विज्ञान का सहारा लेना पड़ता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि तकनीक किसी भी उम्र की महिला को अपना आनुवांशिक बच्चा पैदा करवाने में मददगार साबित हो रही है।
उन्होंने कहा, बांझपन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए चिकित्सक और वैज्ञानिक लगातार मेहनत कर रहे हैं। इनमें से ज्यादा तरीके इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) पर आधारित हैं। यह संतानोत्पत्ति के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे लोकप्रिय तकनीक है।
डॉ. रश्मि ने बताया, आईवीएफ में महिलाओं के अंडाशय से अंडे लेकर उन्हें वीर्य के साथ मिलाया जाता है और लैब में निषेचित कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडों को महिलाओं के गर्भाशय में रखा जाता है। इनमें से किसी एक अंडे को सफलतापूर्वक स्वस्थ बच्चे के रूप में विकसित कराने की संभावना रहती है। यह प्रक्रिया मेडिकल जगत का बहुत बड़ा आविष्कार है। लेकिन अगर उम्र ज्यादा हो तो अंडों से वांछित नतीजे मिलने की उम्मीद नहीं रहती।
इसी कड़ी में कॉम्प्रिहेंसिव क्रोमोसोमल स्क्रीनिंग (सीसीएस) आईवीएफ एक अच्छा उपाय बनकर सामने आई है। इस तकनीक में महिलाओं के गर्भाशय में भ्रूण को इस उम्मीद से रखा जाता है कि कम से कम एक अंडा सफल गर्भधारण करा सके। बहुत सारे भ्रूण रखने से एक साथ कई बच्चे पैदा होने की संभावना बनने का जोखिम रहता है, जो मां की जिंदगी के लिए खतरनाक भी हो सकता है।
आईवीएफ विशेषज्ञों के मुताबिक, सीसीएस के इस्तेमाल से स्वस्थ भ्रूण का पता लगाना आसान होता है। इस तकनीक के जरिए सबसे स्वस्थ भ्रूण को गर्भाशय में रखकर एक से ज्यादा बच्चा पैदा होने की आशंका टाली जा सकती है और इस तरह मां के जीवन को भी सुरक्षित रखा जा सकता है। इस प्रक्रिया में भ्रूण का बायोप्सी सैंपल लेकर कंप्यूटर के जरिए विश्लेषण किया जाता है और किसी तरह की संभावित गड़बड़ी का पहले ही पता लगा लिया जाता है। यह प्रक्रिया आईवीएफ के जरिए स्वस्थ गर्भधारण सुनिश्चित कराने में मदद मिलती है।
नई दिल्ली के अवेया फर्टिलिटी संस्थान के संस्थापक डॉ. साहिल गुप्ता के अनुसार, यह आम चलन है कि अपनी मां की तुलना में महिलाएं खुद मां बनने में देरी कर रही हैं। मेडिकल तकनीक इस चलन को और बढ़ावा दे सकती है। उदारहण के लिए महिलाएं अंडों को फ्रीज करवा कर अपनी फर्टिलिटी सुरक्षित करवा सकती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि 27 साल की उम्र में फ्रीज करवाए अंडों से वे 38 की उम्र में भी मां बन सकती हैं।
साहिल की बात पर समर्थन जताते हुए नई दिल्ली स्थित इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर (आईएफसी) की संस्थापक व अध्यक्ष डॉ. रीता बख्शी कहती हैं, ज्यादा उम्र में अंडों से संतानोत्पत्ति की संभावना क्षीण हो जाने की चुनौती से निपटने के लिए ‘एग फ्रीजिंग’ बड़ा ही कारगर मेडिकल उपाय है। इसमें महिला के अंडे लेकर क्राइपोप्रिजर्वेशन के जरिए फ्रीज कर रखा जाता है और मनोवांछित समय पर गर्भधारण कराने में उनका इस्तेमाल किया जाता है।
लाइफ स्टाइल
उम्र बढ़ने का असर नहीं दिखेगा त्वचा पर, बस करना होगा यह काम
नई दिल्ली। उम्र बढ़ने (Ageing) के साथ ही व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। साथ ही उम्र का असर त्वचा पर भी दिखाई पड़ने लगता है। इसकी सबसे बड़ी वजह आपका खान पान है। ऐसे में अगर आप 40, 50 की उम्र में भी 30-35 की नजर आना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने खानपान की ओर ध्यान दें।
बहुत ज्यादा तला-भुना, मिर्च-मसालेदार और जंक फूड के सेवन से त्वचा समय से पहले ही बूढ़ी नजर आने लगती है। उम्र बढ़ने (Ageing) के साथ अपने भोजन में हरी सब्जियों, साबुत अनाज, स्प्राउट्स व डेयरी प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ाएं साथ ही साथ ड्राई फ्रूट्स की भी।
- बादाम
बादाम विटामिन ई का बेहतरीन स्त्रोत होते हैं। जो हानिकारक यूवी किरणों से स्किन की सुरक्षित रखते हैं, स्किन के मॉयस्चर को बना कर रखते हैं साथ ही स्किन टिश्यू को रिपेयर करने का भी काम करते हैं। जवां और खूबसूरत नजर आने में हेल्दी और चमकदार त्वचा का बहुत बड़ा रोल होता है।
- काजू
काजू में प्रोटीन और विटामिन-ई की भरपूर मात्रा होती है। ये दोनों न्यूट्रिशन बढ़ती उम्र के असर को कम करते हैं और त्वचा को चमकदार बनाए रखने में मदद करते हैं। तो काजू का सेवन भी करें लेकिन सीमित मात्रा में।
- अखरोट
अखरोट में विटामिन-ई और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो त्वचा को मुलायम बनाते हैं और रंगत सुधारने में भी मदद करते हैं। इसके अलावा अखरोट में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स के असर को ख़त्म करके एजिंग प्रोसेस को धीमा करने का काम करते हैं।
- पिस्ता
पिस्ता में विटामिन ई और दूसरे एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो बॉडी से फ्री रेडिकल्स को कम करने और स्किन को सॉफ्ट और ग्लोइंग बनाने में मददगार होते हैं। इसके साथ ही पिस्ता में विटामिन ई होता है जो स्किन को हेल्दी रखता है जिससे उम्र का असर पता नहीं चलता।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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