Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

हेल्थ

96 फीसदी युवा आबादी वाकिफ, तंबाकू है कैंसरकारी (विश्व सिर-गला कैंसर दिवस 27 जुलाई पर विशेष)

Published

on

Loading

भोपाल, 26 जुलाई (आईएएनएस)| तंबाकू उत्पादों पर दर्ज चेतावनी का देश के लोगों और खासकर युवा पीढ़ी पर खास असर हो रहा है। 96 फीसदी युवा ऐसे हैं, जो मानते हैं कि चबाने वाले तंबाकू उत्पाद गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर का कारण बनते हैं। इसका खुलासा ग्लोबल एडल्ट्स टोबैको सर्वे (गेट्स-2) द्वारा जारी रपट से हुआ है।

देश में हर साल 10 लाख से अधिक मुंह और गले के कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं, और इनमें से 50 प्रतिशत की मौत बीमारी की पहचान के अंतराल में ही हो जाती है। इनमें युवाओं की मौत का मुख्य कारण मुंह व गले का कैंसर होता है।

वायॅस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के संरक्षक, डॉ. ललित श्रीवास्तव बताते हैं, ग्लोबल एडल्ट्स टोबैको सर्वे (गेट्स-2) 2017 की रपट के अनुसार, भारत में 15 साल से अधिक उम्र के 19.9 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं, जबकि चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर 85 प्रतिशत सचित्र चेतावनी को देखकर 46़ 7 प्रतिशत लोगों ने इसे छोड़ने के बारे में सोचा। जबकि वर्ष 2009-10 में 33़ 8 प्रतिशत लोगों ने इसे छोड़ने के बारे में सोचा था। वही 96.4 प्रतिशत युवा वर्ग जानता है कि चबाने वाला तंबाकू ही गंभीर बीमारियों (कैंसर) का कारण है। इसमें 96.4 प्रतिशत पुरुष, 94.8 प्रतिशत महिलाएं, वही शहरी क्षेत्र में 96.8 प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्रों में 95 प्रतिशत लोग इसमें शामिल हैं। पिछले सर्वे में 88.8 प्रतिशत लोग ही जानते थे कि गंभीर बीमारियों का कारण तंबाकू है। इस तरह सात वर्षो में जागरूकता के मामले में छह प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

गेट्स का इससे पहले 2009-10 में सर्वे हुआ था, उसके बाद 2016-17 में सर्वे हुआ, जो हाल ही में जारी हुआ है। यह सर्वे भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिए कराया है। यह सर्वे देश के 30 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों में हुआ और इसमें 74 हजार 73 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी आयु 15 वर्ष से अधिक थी।

डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं, सरकार के द्वारा जनहित में तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी दर्ज किए जाने के निर्णय से देश में मुंह व गर्दन के कैंसर को कम करने में मदद मिली है। भारत में पूरे विश्व की तुलाना में धूम्ररहित चबाने वाले तंबाकू उत्पाद (जर्दा, गुटखा, खैनी) का सेवन सबसे अधिक होता है। यह सस्ता और आसानी से मिलने वाला नशा है। पिछले दो दशकों में इसका प्रयोग अत्यधिक बढ़ा है, जिस कारण भी सिर गले के कैंसर रोगी बढ़े हैं।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रपट मे भी इस बात का खुलासा किया गया है कि पुरुषों में 50 प्रतिशत और महिलाओं में 25 प्रतिशत कैंसर की वजह तम्बाकू है। इनमें से 60 प्रतिशत मुंह के कैंसर हैं। धुआं रहित तम्बाकू में 3000 से अधिक रासायनिक यौगिक हैं, इनमें से 29 रसायन कैंसर पैदा कर सकते हैं।

टाटा मेमोरियल अस्पताल में प्रोफेसर और कैंसर सर्जन डा़ॅ पंकज चतुर्वेदी, जो इस अभियान की अगुवाई वैश्विक स्तर पर कर रहे हैं, कहते हैं सिन गले के कैंसर के नियंत्रण के लिए सरकारों, एनजीओ, चिकित्सा व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामाजिक संगठनों, शिक्षा व उद्योग संस्थानों सहित बहु क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता है। सिर गला कैंसर पर प्रभावी नियंत्रण और इलाज की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ हेड एंड नेक अनोलोजिक सोसाइटीज(आईएफएचएनओएस) ने 27 जुलाई को विश्व सिर, गला कैंसर दिवस (डब्ल्यूएचएनसीडी) के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा और आज यह मनाया जाने लगा है। फेडरेशन को इसके लिए अनेक सरकारी संस्थानों, एनजीओ, 55 से अधिक सिर व गला कैंसर संस्थानों व 51 देशों का समर्थन प्राप्त है।

कैंसर रोग विशेषज्ञ डा़ॅ टी़ पी़ साहू बताते हैं, वर्ष 2014 में जॉन हपकिंस यूनिर्वसिटी के ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुटखा प्रतिबंध के प्रभावों पर एक अध्ययन कराया था। अध्ययन के दौरान देश के सात राज्यों असम, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और दिल्ली में 1,001 वर्तमान व पूर्व गुटखा उपभोक्ताओं और 458 खुदरा तम्बाकू उत्पाद विक्रेताओं पर सर्वे किया गया।

उन्होंने आगे बताया, सर्वे में सामने आया कि 90 फीसदी लोगों ने इच्छा जताई कि सरकार को धुंआ रहित तंबाकू के सभी प्रकार के उत्पादों की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इस पर 92 फीसदी लोगों ने प्रतिबंध का समर्थन किया। 99 फीसदी लोगों ने कहा कि भारतीय युवाओं के स्वाथ्य के लिए प्रतिबंध अच्छा है। जो लोग प्रतिबंध के बावजूद तंबाकू का सेवन करते हैं उनमें से आधे लोगों ने कहा कि प्रतिबंध के बाद उनके गुटखा सेवन में कमी आई है। 80 फीसदी लोगों ने विश्वास जताया कि प्रतिबंध ने उन्हें गुटखा छोड़ने के लिए प्रेरित किया है और इनमें से आधे लोगों ने कहा कि उन्होंने वास्तव में छोड़ने की कोशिश भी की है।

ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने सितंबर 2016 में सुगंध युक्त चबाने वाले गुटखे पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें ‘तंबाकू पीड़ितों की आवाज’ नामक आंदोलन की अहम भूमिका रही है। इसमें तंबाकू का सेवन करने वाले ही लोग थे। सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिबंध के बाद चबाने वाले तंबाकू उत्पादकों ने नए रास्ते खोज लिए हैं। इन पर भी रोक आवश्यक लगने लगी है।

Continue Reading

योग एवं आयुर्वेद

ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी  

Published

on

By

workout for depression

Loading

नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-

  1. रनिंग

रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।

  1. वेट लिफ्टिंग

वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।

  1. योगा

बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।

  1. धूप का सेवन

धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।

depression, workout for depression, workout for depression news,

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

Continue Reading

Trending