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राखी सावंत का नया ड्रामा, बुर्का पहन कर पहुंची लुधि‍याना की कोर्ट

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मुंबई। अपने अजीबों गरीब ड्रामों के लिए मशहूर राखी सावंत गुरुवार को पंजाब के लुधि‍याना शहर की अदालत में चोरी छिपे बुर्का पहनकर पहुंची। रामायण के रचयिता भगवान वाल्मीकी पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में राखी सावंत के खि‍लाफ लुधियाना ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट कोर्ट में केस दर्ज करवाया गया था। कोर्ट में पेश होने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट विश्व गुप्ता ने राखी की जमानत मंजूर कर ली है।

बता दें कि राखी सावंत के खि‍लाफ अदालत ने 2 जून को गैर जमानती वारंट जारी करते हुए लुधियाना के पुलिस आयुक्त से कहा था कि वह 7 जुलाई से पहले अदालत में एक्ट्रेस की पेशी सुनिश्चित करें।

इससे पहले 9 मार्च को भी राखी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। अदालत की ओर से बार-बार समन भेजे जाने के बावजूद राखी 9 मार्च को हुई मामले की सुनवाई में पेश नहीं हुई थीं।

लोगों से बचने के लिए राखी बुर्का पहन कर अदालत पहुंची और खुद को सरेंडर कर दिया। अदालत ने एक-एक लाख रुपये दो मुचलकों पर राखी की जमानत मंजूर की, जिसके बाद वह मुंबई के लिए रवाना हो गई।

राखी को टीवी शो के दौरान महर्षि वाल्मिकी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करना महंगा पड़ गया। उम्मीद है अब राखी कुछ भी बोलने से पहले हज़ार बार सोचेंगी।

 

 

 

 

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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