अन्तर्राष्ट्रीय
मिस्र : महान्यायवादी की हत्या के 31 दोषियों को मृत्युदंड
काहिरा, 17 जून (आईएएनएस)| मिस्र की राजधानी काहिरा की एक अदालत ने देश के पूर्व महान्यायवादी की हत्या में संलिप्तता को लेकर शनिवार को 31 लोगों को मौत की सजा सुनाई। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, जुलाई 2013 में मोहम्मद मुर्सी के तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने 63 वर्षीय हिशाम बरकत को देश का महान्यायवादी नियुक्त किया था, जिनकी जून 2015 में हत्या कर दी गई थी।
हत्याकांड में 31 लोगों को सुनियोजित हत्या, आतंकवादी समूह से ताल्लुक रखने, विदेशी आतंकवादी संगठन में शामिल होने, विस्फोटक बनाने व रखने, अवैध तौर पर आग्नेयास्त्र व ब्लेड रखने, अवैध रूप से सीमा पार करने तथा जासूसी के लिए आरोपित किया गया था।
अभियोजन पक्ष ने उन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड तथा फिलिस्तीनी इस्लामिक मूवमेंट हमास से ताल्लुक रखने का भी आरोपी बनाया था। मुस्लिम ब्रदरहुड को मिस्र की मौजूदा सरकार आतंकवादी संगठन मानती है।
फैसले को मिस्र के मुफ्ती के पास भेज दिया गया है। फैसले पर अब मुफ्ती विचार करेंगे, हालांकि न्यायालय उनका फैसला मानने को बाध्य नहीं है।
अंतिम फैसला 22 जुलाई को आएगा।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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