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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने दी चीन को सीधी चुनौती, द. चीन सागर में पहुंचा लड़ाकू जहाज

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वॉशिंगटन। अमेरिका ने साउथ चाइना सी में चीन को सीधी चुनौती दी है। एक अमेरिकी वॉरशिप (जंगी जहाज) इस सी में चीन के एक विवादित आर्टिफिशियल आइलैंड में 12 नॉटिकल मील अंदर तक पहुंच गया। अमेरिका के इस कदम पर चीन ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अमेरिकी नौसेना ने विवादित दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के उस कृत्रिम द्वीप के पास युद्धपोत भेजा, जिस पर चीन अपना दावा जताता है। लक्षित मिसाइल विध्वंसक पोत यूएसएस देवे ने मिस्चीफ टापू के 20 किलोमीटर के दायरे में गश्त लगाई।

यूएस ऑफिशियल्स ने दावा किया है कि डोनाल्ड ट्रम्प के प्रेसिडेंट बनने के बाद इंटरनेशनल ट्रेड के लिए स्ट्रैटजिक तौर पर काफी अहमियत रखने वाले साउथ चाइना सी में पहली बार वॉशिंगटन ने ऐसा कदम उठाया है।

दरअसल यह टापू स्प्रैटली द्वीपसमूह का हिस्सा है, जिस पर कई देश अपना दावा जताते हैं।

चीन का कहना है कि अमरीकी युद्धपोत उसके जलक्षेत्र में बिना अनुमति के आ गया था और उसकी नौसेना ने तत्काल वहां से जाने की चेतावनी दी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने अमरीका के इस कदम की निंदा की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के इस कदम से चीन की संप्रभुता और सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचा है और इससे हवाई या समुद्री हादसे को बढ़ावा मिलेगा।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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