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प्रादेशिक

मनाली में तापमान हिमांक के नीचे

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शिमला| हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय पर्यटन स्थल शिमला और मनाली में हल्के हिमपात के अगले दिन गुरुवार को तापमान हिमांक से नीचे पहुंच गया, जिस वजह से शीतलहर का असर बढ़ गया है। राजधानी शिमला में तापमान शून्य से 0.5 डिग्री कम और मनाली में हिमांक से चार डिग्री नीचे दर्ज किया गया है।

मौसम विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि शिमला में हल्का हिमपात हुआ, अधिकांश कुछ घंटे में ही पिघल गए, लेकिन नरकंदा, जुब्बाल, कोटखई और खारापत्थर जैसी ऊपरी इलाके में भारी हिमपात हुआ।

उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकांश इलाके में तापमान शून्य के करीब दर्ज किया गया।

चंबल जिले के डलहौजी, ऊपरी धर्मशाला के मैकलियाडगंज और सालोन जिले के चैल में भी हिमपात हुआ है।

शिमला के यूएस क्लब और जाखु पहाड़ी के रिहायशी इलाके में नलों का पानी जम गया है।

राज्य में केलांग सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान हिमांक से 5.5 डिग्री नीचे दर्ज किया गया। कल्पा में तापमान हिमांक से 4.8 डिग्री नीचे रहा। दोनों ही स्थानों पर क्रमश: चार और आठ सेंटीमीटर हिमपात हुआ है।

धर्मशाला में 24.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, यहां रात का तापमान 2.8 डिग्री सेल्सियस था।

मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ के गुरुवार से समाप्त होने और 20 जनवरी को एकबार फिर सक्रिय होने का अनुमान जताया है, जिससे राज्य में और बारिश व हिमपात होगा।

 

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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