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मुख्य समाचार

नकल करने वालों की खैर नहीं, योगी सरकार ने जारी किये वाट्सऐप नंबर

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उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा, वाट्सऐप नंबर, भाजपा, पीएम मोदी, चुनाव प्रचार अभियान

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में नकल किए जाने की घटनाओं के बाद यूपी सरकार ने अब एक वाट्सऐप नंबर भी जारी कर दिया गया है, जिस पर नकल से जुड़ी घटनाओं की जानकारी दी जा सकेगी। यह वाट्सऐप नंबर 9454457241 है, जिस पर नकल से जुड़ी शिकायत की जा सकेगी। इसके अलावा, योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक लैंडलाइन नंबर भी जारी किया है, जो 0522-2236760 है।

उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा, वाट्सऐप नंबर, भाजपा, पीएम मोदी, चुनाव प्रचार अभियान

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से लगातार उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में नकल होने की खबरें सामने आ रही थीं, जिसकी वजह से यूपी सरकार चिंता में पड़ गई थी। आपको बता दें कि भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार अभियान में यूपी में होने वाली परीक्षाओं में हो रही नकल को भी एक मुद्दा बनाकर उठाया गया था, इसलिए भी नकल यूपी में भाजपा की सरकार के लिए दिक्कत का सबब बन सकती है। गोंडा में हुई रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि परीक्षाओं में नकल होना सही नहीं है, इसकी वजह से आने वाली पीढ़ी का शिक्षा पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा।

इसी को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जिन पर परीक्षा में हो रही नकल से जुड़ी किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां भी दी जा सकती हैं। प्रशासन ने इस बात का भरोसा दिलाया है कि नकल की सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी।

इसी महीने मथुरा में कुछ परीक्षा केंद्रों पर देखा गया था कि कुछ छात्र नकल कर रहे थे और बाहर से उन्हें मदद भी मुहैया कराई जा रही थी। इसके तहत 70 छात्र और अध्यापकों को पकड़ा भी जा चुका है। ऐसी बहुत सी तस्वीरें और वीडियो सामने आए थे, जिसमें छात्रों के दोस्त और उसके परिवार के लोग दीवारों पर चढ़कर परीक्षा केंद्रों की खिड़कियों से नकल की पर्ची छात्रों तक पहुंचा रहे थे।

 

नेशनल

लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।

एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।

हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।

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