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मुख्य समाचार

समाजवादी पार्टी का दामन छोड़ अशोक प्रधान भाजपा में शामिल

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Ashok pradhan join bjpलखनऊ/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में चल रहे कलह के बीच पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक प्रधान ने सपा से किनारा करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। शुक्रवार को नई दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते हुए उन्होंने उप्र में भाजपा की जीत का दावा किया। उन्होंने कहा, “मैं अपने घर लौटा हूं। भाजपा ने ही मुझे पहचान दी है। मैं और मेरे कार्यकर्ता पार्टी के लिए काम कर उत्तरप्रदेश में भाजपा सरकार बनाएंगे।”

प्रधान ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत ही नहीं, पूरे विश्व में हमारे देश की अलग पहचान बना दी है। उन्होंने बिना आराम किए हमेशा यही सोच रखी कि देश को उस ऊंचाई तक पहुंचा दूं कि विश्व हमारा लोहा माने।” उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में देश फिर से सोने की चिड़िया बनेगा।

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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